केन्द्र सरकार की बहुप्रतीक्षित आरओ डीटीईपी योजना की घोषणा पर फोरहेक्स ने किया रोष व्यक्त,,

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जयपुर 23 अगस्त 2021।(निक वाणिज्य) मंगलवार 17 अगस्त 2021 को सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित RoDTEP योजना के तहत निर्यात उत्पादों पर दिए गए ड्यूटी और टैक्स के पुनर्भरण की घोषणा ने हैंडीक्राफ्ट और टेक्सटाइल निर्यात उद्योग को न केवल निराशा की ओर धकेला बल्कि निर्यातकों के संगठन को उनकी भविष्य की योजनाओं के प्रति सोचने पर मजबूर कर दिया है। फॉरेक्स  सचिव अतुल पोद्दार ने यह बताया कि सैद्धांतिक रूप से किसी भी सरकार की कर नीति इस बात का ख्याल रखती है कि उसके द्वारा लिए जाने वाले टैक्स और ड्यूटी का उत्पादों के निर्यात की बाजार कीमतों पर विपरीत प्रभाव न पड़े तथा यह भी दायित्व होता है कि टैक्सेस की प्रतिपूर्ति (Reimbursement) समय-समय पर मिलती रहे जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में वह अपने आप को स्थापित रख पाऐ।

RoDTEP स्कीम जो कि 1 जनवरी 2021 से प्रभाव में आई है का मुख्य उद्देश्य वर्तमान की MEIS योजना को निष्प्रभावी करते हुए उसकी जगह लागू करना है MEIS योजना के तहत निर्यातकों को सरकार को दिए गए ड्यूटी और टैक्स के एवज में निर्यात मूल्य का 5 से 7 % निर्यात प्रोत्साहन राशि के रूप में सरकार द्वारा प्राप्त होता था लेकिन W.T.O के नियमों से सामंजस्य के अभाव में MEIS योजना को बंद कर दिया गया और देश भर के निर्यातकों को केंद्र सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया कि शीघ्र ही W.T.O के नियमों से सामंजस्य रखते हुए नई योजना की घोषणा की जाएगी और निर्यातकों के हितों का ख्याल रखा जाएगा परंतु ऐसा हो नहीं पाया। अतुल पोद्दार ने यह भी बताया कि सरकार की वर्तमान में घोषित 0.5% RoDTEP दर को देशभर के निर्यातक एक गलत निर्णय के रूप में देखते हैं क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय बाजार की प्रतिस्पर्धा में उसकी स्थिति को नकारात्मक दिशा में ले जाएगी और इससे कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि निर्यात की सीमा माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 400 बिलियन यूएस डॉलर के टारगेट को पूरा कर पाएगी रेडीमेड कपड़ों पर लागू कर योजना को भी सरकार द्वारा बढ़ाकर मार्च, 2024 तक प्रभावी रखा गया है उसके तहत निर्यातकों को f.o.b. मूल्य पर 6.5 % से 8.2% तक प्रोत्साहन राशि सरकार से प्राप्त होती है जिसकी तुलना हैंडीक्राफ्ट और टैक्सटाइल इंडस्ट्री को RoDTEP के तहत की जाने वाली वर्तमान की प्रोत्साहन राशि की दर 0.5% से करना बेतुका होगा, जो कि सीधा-सीधा उस हैंडीक्राफ्ट टेक्सटाइल उद्योग के साथ किया गया एक खिलवाड़ है। उसी संदर्भ में कॉमर्स सेक्रेटरी, जी. के. पिल्लई की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया जिसमें निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के उत्पादन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में प्रभावी कर नीति और सरकार द्वारा ली जाने वाली ड्यूटी का गहन अध्ययन किया तथा लेखा-जोखा लिया एवं अनेका अनेक विचार विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को दी। सरकार द्वारा वर्तमान में घोषित RoDTEP योजना में कमेटी की रिपोर्ट और उसके द्वारा शोध का कोई संज्ञान नहीं लिया गया एवं इस कमेटी के द्वारा किए गए अध्ययन को दरकिनार करते हुए मनमाने ढंग से एक नई नीति की घोषणा कर दी गई जो कि तथ्यों पर आधारित नहीं थी, जिसमें नीति के उद्देश्यों में निहित भाव और उसकी सार्थकता को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया। हम अचरज मैं हैं की कुछ उत्पादों और उसमें काम आने वाले कच्चे माल पर तय की गई टेक्सटाइल RoDTEP की दरें उस दिशा में सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े करती है। जैसे कि यार्न और फैब्रिक्स RoDTEP की दरों को 3.8% एवं 4.3% में निहित रखा गया है,


    जबकि उन्हीं कच्चे माल से बने हुए दोहर एवं रजाईयों पर RoDTEP की दरों को 0.5% पर सीमित रखा गया है जिसका सीधा सा मतलब है कि कच्चे माल के निर्यात में निर्यातकों को ज्यादा फायदा मिलेगा वनिस्पत कि उससे बने हुए बहुमूल्य उत्पादों पर जो कि ज्यादा विदेशी मुद्रा अर्जित करती है। यह कहां तक न्याय संगत है। फॉरेक्स अध्यक्ष जसवंत एस. मील ने यह बताया की हम हैंडीक्राफ्ट और टेक्सटाइल निर्यातक अत्यंत दुख के साथ कहते हैं कि सरकार की इस नई घोषित नीति ने इस उद्योग को भविष्य के अंधकार में धकेल दिया है। यह उद्योग कृषि के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े रोजगार मुहैया करने वाले उद्योग की श्रेणी में आता है और लाखों परिवारों की आजीविका का आधार है। अतः हम सरकार से अपील करते हैं कि इस बात को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार करें और यदि अधिक नहीं तो कम से कम MEIS योजना के तहत दिए जाने वाले 5 से 7 % की दर को बरकरार रखें।