फोर्टिस की पहल * पिंक पर्पल * रन गुरुग्राम से जयपुर तक 210 किलोमीटर दौड़ कर ब्रेस्ट एवं गाइनी कैंसर के प्रति बढ़ाई जागरूकता ,,10 प्रतिभागियों ने 3 दिन में पूरी की 210 किलोमीटर की दौड़

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जयपुर, 9 दिसंबर, 2019।(निक चिकित्सा) फॉर्टिस जयपुर की अनूठी पहल के तहत ब्रेस्ट एवं गाइनी कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुरुग्राम (FMRI) से लेकर फोर्टिस जयपुर तक पिंक पर्पल रन का आयोजन किया गया| इस दौड़ में 10 धावकों ने 3 दिन में 210 किलोमीटर की दौड़ तय की है|
फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार, डॉक्टर आशू अभिषेक ने ब्रेस्ट और गाइनी कैंसर के बारे में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से गुरुग्राम से लेकर फॉर्टिस जयपुर तक दौड़ कर 3 दिन में 210 किलोमीटर की दूरी पूरी की। इसमें कुल 10 लोगों ने भाग लिया था और सभी ने 210 किलोमीटर की दूरी तय की।
इन 10 प्रतिभागियों के ग्रुप का नाम ‘मस्तों का झुंड’ था, जिन्होंने मिलकर ‘पिंक पर्पल’ नाम के इस कार्यक्रम के लिए 2100 किलोमीटर पूरे किए। यह दौड़ 7 दिसंबर, 2019 को फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम से शुरु हुई और आज फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, जयपुर में दोपहर 3 बजे खत्म हुई।
दौड़ के समापन के बाद डॉक्टर आशू अभिषेक ने गुरुग्राम स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग की निदेशक व हेड, डॉक्टर रमा जोशी और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, डॉक्टर निरंजन नाइक, श्री नीरव बंसल , जोनल डायरेक्टर- फोर्टिस जयपुर, डॉ. श्रीकांत स्वामी , मेडिकल डायरेक्टर- फोर्टिस जयपुर के साथ मिलकर एक ओपन सेशन किया। इस सेशन में उन्होंने ब्रेस्ट, सर्वाइकल, ओवेरियन, यूटरीन और महिलाओं से संबंधित अन्य कैंसरों के बारे में जागरुकता बढ़ाई। सेशन में लोगों को हेल्दी लाइफस्टाइल, शुरुआती निदान और समय पर इलाज के महत्व के बारे में बताया गया।
गुरुग्राम स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार, डॉक्टर आशू अभिषेक ने बताया कि, “हमारी यह दौड़ महिलाओं के स्वास्थ्य समर्थन में थी। इसके जरिए हम उन्हें बताना चाहते हैं कि कैंसर की रोकथाम और बेहतर स्वास्थ्य के लिए नियमित स्क्रीनिंग, चेकअप और जांच आदि बेहद जरूरी हैं। कार्यक्रम के दौरान बीच-बीच में रुककर हम लोगों से बात कर उन्हें स्वस्थ जीवन, हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज के बारे में जागरुक कर रहे थे। इस प्रकार के कार्यक्रम का हिस्सा होना हमारे लिए गर्व की बात है। उम्मीद है कि हमारे कार्यक्रम से जागरुक होकर देश के युवा फिजिकल स्पोर्ट्स को महत्व देंगे।”
एफएमआरआई में गायनेकोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग की निदेशक व हेड, डॉक्टर रमा जोशी ने बताया कि, “फोर्टिस कैंसर इंस्टीट्यूट ऑफ फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने महिला कैंसर के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए पिंक पर्पल वॉकथॉन का आयोजन किया। इस अनोखे जागरुकता कार्यक्रम की शुरुआत फोर्टिस, गुरुग्राम से की गई, जिसमें 1200 लोगों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिला कैंसर के बारे में जागरुकता बढ़ाना था, और इसी उद्देश्य के साथ शाहपुरा में रुककर ग्रामीण महिलाओं को कैंसर के बारे में जागरुक किया गया।”
डॉक्टर रमा जोशी ने आगे बताया कि, “भारत में, हर साल लगभग 1,60,000 महिलाओं में गायनेकोलॉजिकल कैंसर की पहचान होती है, जिनमें सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे ज्यादा होते हैं। हालांकि, महिलाओं में ओवेरियन, यूटरीन, वल्वर और वेजाइनल कैंसर का भी खतरा होता है। देश में यूटरीन और ओवेरियन कैंसर भी तेजी से बढ़ रहा है। इस कार्यक्रम का थीम ‘जागरुकता, रोकथाम और इलाज’ है, जिसके जरिए हम लोगों में जागरुकता बढ़ाना चाहते हैं। सही समय पर पहचान के साथ कैंसर का सफल इलाज संभव है। जयपुर तक की इस दौड़ का उद्देश्य छोटे शहरों और गांवों की महिलाओं को शुरुआती स्क्रीनिंग और निदान के महत्व के बारे में समझाना था। देश को सर्वाइकल फ्री बनाने के लिए इस मैसेज को पूरे देश में फैलाने की आवश्यकता है।”
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी निदेशक, डॉक्टर निरंजन नाइक ने बताया कि, “कैंसर एक लाइफस्टाइल की बीमारी है, जिसे लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ रोका जा सकता है। शुरुआती पहचान और उचित इलाज के साथ मरीज की जान बचाई जा सकती है। लेकिन अच्छे परिणामों के लिए लोगों को जागरुक करना बहुत जरूरी है। हर महीने ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन (बीएसई) की मदद से शुरुआती निदान संभव है। फोर्टिस अस्पताल ने कैंसर के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए जयपुर तक पिंक पर्पल नाम की दौड़ का आयोजन किया।”

WHO के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर के कारण लगभग 3,11,000 महिलाओं की मृत्यु हो चुकी है। विश्व स्तर पर, सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है। 2018 में कैंसर पीड़िताओं के लगभग 5,70,000 नए मामले दर्ज किए गए थे। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। दुर्भाग्य से विकासशील देशों में अधिकतर इसकी पहचान आखरी स्टेज में होती है।