जैन मंदिरों में मनाई ” वीर शासन जयंती ” . जो मनुष्यता से पार हो जाते है वह भगवान कहलाते है – आचार्य सौरभ सागर,

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300 से अधिक श्रद्धालुओं ने श्री मंशापूर्ण महावीर विधान पूजन कर चढ़ाए महर्घ

जयपुर 4 जुलाई 2023।(निक धार्मिक) मंगलवार को जैन मंदिरों में वीर शासन जयंती पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, इस शुभावासर पर प्रताप नगर के शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर 8 में विराजमान आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा की " कलश स्थापना के माध्यम से संत श्रावकों से बंध जाते है, गुरुपूर्णिमा पर श्रावक संत से बंध जाते है, आज वह दिन है जिसे वीर शासन दिवस कहते है इसमें संत और श्रावक दोनों भगवान से बंधकर उनकी आराधना करते है। वीर शासन जयंती उनकी मनाई जाती है जिन्होंने अपनी वीरता का परिचय देकर अपने शासन को स्थापित किया और श्रावकों को जियो और जीने दो के मार्ग का महत्त्व बताया है। " श्रवण कृष्णा एकम के दिन ही भगवान महावीर स्वामी की प्रथम दिव्यध्वनि विपुलाचल पर्वत पर खीरी थी तथा भव्य जीवों ने दिव्यध्वनी में बताएं गए तत्वज्ञान का आश्रय लेकर आत्मकल्याण का मार्ग अपनाया था। इसी दिवस को वीर शासन जयंती कहा गया है।

आचार्य श्री ने कहा की " जो मनुष्यता से पार हो जाते है वही भगवान कहलाते है, भगवान का अर्थ है कि - मेरे अंदर से सभी प्रकार की वासना समाप्त हो गयी है, मुझे अब " अस्त्र, शस्त्र और वस्त्र " से कोई ताल्लुक नहीं है। मेरी आत्मा से निर्धूम दिव्य प्रकाश निकल रहा है। राग-द्वेष के कल्मष का धुंआ नही है। राग-द्वेष की कालिमा जिनकी ज्योति को धूमिल नही कर सकती, वही भगवान है। जो चार कर्मों से रहित है, वही अर्धनारीश्वर है, अरिहंत है। "

    अध्यक्ष कमलेश जैन बावड़ी वालों ने बताया की मंगलवार को वीर शासन जयंती का आयोजन मुख्य पांडाल में संपन्न हुआ, जिसकी शुरुवात मंगलाचरण के साथ प्रारंभ हुई, इसके उपरांत भगवान शांतिनाथ स्वामी, भगवान पार्श्वनाथ स्वामी और गणचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के चित्रों का अनावरण कर दीप प्रवज्जलन संपन्न हुआ। इसके पश्चात " श्री मंशा पूर्ण महावीर विधान पूजन प्रारंभ हुआ जिसमें जयपुर सहित देशभर से पधारे 300 से अधिक श्रद्धालुओं ने अष्ट द्रव्यों के साथ " श्रीजी " की आराधना की और भावों के दिव्य महार्घ चढ़ा वीर शासन जयंती मनाई, विधान पूजन के दौरान ही आचार्य सौरभ सागर महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को " वीर शासन जयंती " के महत्व पर प्रकाश डाला और अपने प्रवचनों के माध्यम सभी को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।