NEWS PORTALS बिना मेहनताने के उन घरों तक पहुंचते हैं जहाँ राजनीतिक दलों के वोटर हैं,सरकारों को यह समझना होगा,
जनता की आवाज़ को आखिर मिली पहचान,,,,,,,,,
केंद्र सरकार ने empanalment और सरकारी विज्ञापनों के लिए मांगे आवेदन (कॉपी सलंग्न)ज
जयपुर 7 फरवरी2019।(निक विशेष) आज बढ़ते डिजिटल वर्ल्डस से कोई अछूता नहीं है, रोज़मर्रा की गतिविधियों के साथ साथ, खबरें व महत्वपूर्ण जानकारियां आपको सुलभ उपलब्ध हैं।
जहाँ तक news portals का सवाल है, जानना जरूरी है कि यह नए भारत का नया मीडिया है,जो शीघ्र ही अपनी सकारात्मक गति तय करता जा रहा है ।
अभी जो हालात है,वह सभी क्षेत्रों में रिफार्म की आवश्यकता को दर्शा रहे हैं ।
मिडिया जगत भी इससे अछूता नहीँ है, कुछ सरकारी नीतियां व कुछ उद्यमियों के हाथों में मिडिया हाउसेस की कमान जाने से कुछ हद तक मीडिया अपने मौलिक कर्तव्यों से भटक गया है, इसी के मद्दे नज़र लोगों के नज़रिए में भी बदलाव आना स्वाभाविक है ।
लेकिन अब जनता को भी जागरूक हो,मीडिया के हर पहलू पर पैनी नज़र रखनी होगी,उसका सही मायने में आंकलन व विश्लेषण की महिती आवश्यकता है ।
कुछ चंद लोगों ने मीडिया को अपने स्वार्थ के लिए उपयोग में लाना शुरू किया है ,जिससे मीडिया की विश्वसनीयता व उसके गिरते स्तर पर एक सवालिया निशान लग गया है ।
पहले की स्थिति और अब की स्थिति में काफी अंतर आगया है और इसमें सुधार की आवश्यकता अवश्यम्भावी है । इसमें जनता ,इसके पाठक व दर्शक अपनी भागीदारी निभा सिक्के के दूसरे पहलू पर भी विचार करें तो बहुत हद तक स्थितियों में परिवर्तन आ सकता है ।
आज भाषा का स्तर इतना गिर चुका है ,खासकर राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान नेताओं के बिगड़े बोल हमारे जीवन मे गहरा असर डाल रहे हैं, इससे हर सम्भव सभी को बचना होगा,,पर यह भी ध्यान देना होगा कि यह अभद्र व असंसदीय भाषा हमारे समाज ,देश को कहाँ ले जा रही है,, जनता को इनको तवज्जो नहीं देनी चाहिए ।
मीडिया के जरिये यह सब हमारे सामने परोसा जा रहा है।
यह सिर्फ सत्ता येनकेन प्राप्त करने का फार्मूला बना दिया गया है जो कि घातक है ।
कश्मीर में पत्थर फेंके जाने की खबरें हमे विचलित करती हैं, पर क्या हमने कश्मीर वासियों से इसकी सत्यता परखी है,ऐसे कई उदाहरण हमें देखने सुनने को मिल जाएंगे ।
News portals की उपज अभी कुछ साल पहले ही हमारे संज्ञान में आई है,मीडिया में उथलपुथल इसका एक महत्वपूर्ण कारण बना है, कुछ मीडिया हाउसेस ने एथिक्स ,तथ्यों के आधार व वैचारिक दृष्टि से समृद्ध पत्रकारिता करने वालों को ,अपने स्वार्थ सिद्ध करने व सरकारों से फायदा लेने के लिए दबाव के चलते नमस्ते करनी पड़ी या उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
इसमें आजतक व ABP के पुण्य प्रसून वाजपेयी,IBN 7 के आशुतोष शर्मा,NDTV की बरखा दत्त, विनोद दुआ, अभिसार शर्मा आदि कई ऐसे नाम है, जिन्होंने पत्रकारिता के सिद्धांतों के साथ व मालिकों के दबाव के आगे समझौता नहीँ किया ।
इनमें से कुछ ने अपने लिए नए मीडिया की खोज की जिसका परिणाम आप के सामने है ,और धीरे धीरे ऐसे अनेकों में जनता को सच व सरकार को आइना दिखाने की हिम्मत जुटाई है,,,,अपवाद सब जगह व्याप्त हैं,,,
और जब सोशल मीडिया या कहें डिजिटल मीडिया घर घर की पहुंच बन गई। इससे सरकरों को भी इसके महत्व को समझने की दरकार हुई,, यह जनता की बिंदास आवाज़ बन आज सबके सामने है, जिसे दबाया जाना अब नामुमकिन सा प्रतीत होता है,,यह नया मीडिया नए भारत का हथियार व स्वरोजगार बनगया है ।
हालांकि इसके बारे कई अफवाहें तथाकथितों ने फैलाने।व भृमित करने की कोशिशें बहुत हुई हैं ।
पर।सभी को जानना व समझना होगा खासकर सरकारों व राजनीतिक दलों को की हमारी पहुंच उन घरों तक है जिनके वोटों की आपको आवश्यकता है, हमें महत्व देना इसलिए भी जरूरी है कि हम बिना किसी स्वार्थ व मेहनताने के आपकी बात पहुंचा रहे हैं ।
इसी की वजह आज केंद्र सरकार को जनता की आवाज़ को अपनी आवाज़ बनाने के प्रयास करने पड़े,उसके लिए newindia खबर उनका धन्यवाद करता है ।
राजस्थान की वर्तमान कांग्रेस सरकार के घोषणा पत्र में भी डिजिटल मीडिया के लिए नीति बनाने का प्रावधान है,उम्मीद करते है,शीध्र गहलोत सरकार इसे अमल।में लाएगी ।