जयपुर 13 फरवरी 2025।(निक विशेष) ऑल इंडिया एससी एसटी रेलवे एंप्लो एसोसिशन दिल्ली के नेशनल प्रेसिडेंट मिलिंद आवाद ने गंभीर आरोप लगाते हुए प्रेस वार्ता में मीडिया को बताया कि तथाकथित अध्यक्ष केंद्रीय कार्यकारी समिति (सीईसी), ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट्स एंड शेड्यूल्ड ट्राइब्स रेलवे एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AISCST) नई दिल्ली बी.एल. बैरवा को न्यायालय ने अपराधी घोषित किया। कार्यकारी मजिस्ट्रेट व अतिरिक्त पुलिस अधिकारी (मुख्यालय) जयपुर (पूर्व) के. के. अवस्थी ने राज्य बनाम बनवारी लाल बैरवा व अन्य मामला संख्या सीआरएल 1465/2024 28 नवंबर 2024 में बी.एल. बैरवा ने स्वयं को डॉ. अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी का अध्यक्ष बताकर झूठा दावा किया, जिस पर न्यायालय ने हर अभियुक्त के लिए 5,000 रुपए की जमानत राशि तय करते हुए आदेश पारित किया और बैरवा व एक अन्य अभियुक्त को छह महीने तक किसी भी संगठनात्मक गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया।
मिलिंद आवाद ने आगे मीडिया को बताया कि साथ ही संघ विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और एसोसिएशन के उपनियमों के उल्लंघन के आम सभा की बैठक में निर्णय लिया गया कि बैरवा अतिरिक्त महासचिव/CEC और अशोक कुमार महासचिव/CEC को निलंबित किया जाए। इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जानकारी रेलवे बोर्ड अध्यक्ष और सोसायटी रजिस्ट्रार (फर्म्स एवं इंडस्ट्रीज) को 2006 को भेजी गई थी। तब से आज तक इस निलंबन को न तो निरस्त किया गया और न ही बहाल किया गया, लेकिन दोनों धोखाधड़ी से संघ का संचालन कर रहे हैं और तथ्य सोसायटी रजिस्ट्रार से छुपा रहे हैं। मिलिंद आवाद ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे एससी-एसटी कर्मचारियों से अवैध रूप से सदस्यता शुल्क और चंदा वसूल रहे हैं। 2006 से आज तक उन्होंने न तो सोसायटी रजिस्ट्रार से संपर्क किया और न ही नियमानुसार आवधिक ऑडिट रिपोर्ट, संशोधन या प्रमाणन नवीनीकरण का अनुरोध किया। पंजीकरण प्रमाणपत्र के नवीनीकरण के बिना, वे जानबूझकर रेलवे प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं और अवैध रूप से संघ का संचालन कर रहे हैं।
रेल बार्ड ने कराई एफआईआर:
रेल बोर्ड के पत्र 09/10/2024 व 18 /10/24 को रेल मंत्रालय की ओर से पत्र जारी कर एससी एसटी रेलवे एंप्लो एसोसिशन के एमेंडमेंट सर्टिफिकेट व रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को रेल मंत्रालय ने बैरवा को प्रस्तुत करने को कहा, लेकिन बैरवा ने नागपुर एजीएम के बाद 25/26/10/24 के बाद प्रस्तुत करने वाले हैं लिखित जवाब दाखिल किए हैं, लेकिन आज तक रेल बोर्ड अधिकारी और बैरवा चुप हैं, इसलिए फर्जी डॉक्यूमेंट देने के लिए रेल बोर्ड ने एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। ऐसे में बैरवा ने कई बार सरकारी नीतियों का उल्लंघन किया। न्यायालय ने उन्हें अपराधी घोषित करते हुए किसी भी पद पर बने रहने के लिए अयोग्य माना है
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