जूली और शकुंतला रावत की होगी जमानत जब्त,, अलवर के विधायक लूटने में व्यस्त : विकास ठप्प

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वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी की पेनी कलम से

जयपुर 13 सितंबर 2022।(निक राजनीति) अशोक गहलोत को भले ही इस बात का फख्र हो कि राजस्थान में उनकी सरकार बेहतर तरीके दौड़ रही है । जबकि हकीकत इससे इतर है । अलवर जिले में आज के हालातों को देखते हुए पार्टी की लुटिया डूबने वाली है दोनो मंत्री टीकाराम जूली और शकुंतला रावत अपनी जमानत बचा ले तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी ।
हाल ही अलवर जिले की नब्ज टटोलने की गरज से जाना हुआ । किशनगढ़ बांस के विधायक दीपचंद खैरिया ही एकमात्र विधायक है जिनकी हर वर्ग ने जमकर तारीफ की । कोई भी व्यक्ति उन पर भ्रस्टाचार का आरोप नही लगा पाया । क्षेत्रीय नागरिकों का यह भी कहना था कि पिछले 30-40 साल में जितने विकास कार्य नही हुए, उससे कहीं ज्यादा खैरिया करवा चुके है । अभी खैरथल में कई और कार्य है जो पाइप लाइन में है ।

कमोबेश यही स्थिति बहरोड़ के निर्दलीय विधायक बलजीत यादव की है । क्षेत्रीय जनता का उनके प्रति अगाध स्नेह है । विकास कार्यो के लिए वे सदैव सक्रिय रहते है । जयपुर के सेंट्रल पार्क में कई घंटों की दौड़ ने इन्हें हीरो बना दिया । ये चाहे कांग्रेस की टिकट पर खड़े हो या निर्दलीय, इनका जीतना सुनिश्चित है ।
सबसे दयनीय हालत बानसूर की विधायक उद्योग मंत्री शकुंतला रावत, रामगढ़ की साफिया जुबैर, अलवर ग्रामीण के टीकाराम जुली की है । तीनो पर भ्रस्टाचार के गंभीर आरोप है । शंकुतला रावत अपने क्षेत्र में पांच हजार की भीड़ भी एकत्रित करने की हैसियत नही रखती है । लोग पूछ रहे है कि इस नासमझ और भ्रस्ट महिला को उद्योग मंत्री बना किसने दिया ? चर्चा है कि 25 हजार में भी काम चल जाता है ।
कमोबेश यही स्थिति टीकाराम जूली की है । जमकर माल कमाने में व्यस्त है । छवि बहुत खराब है । भंवर जितेंद्र सिंह की खड़ाऊ पूजकर विधायक और मंत्री बने है । जूली टिकट पाने में तो कामयाब हो जाएंगे, लेकिन ये अपनी जमानत बचा पाते है तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी । दरअसल भंवर जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस को डुबोने का संकल्प ले रखा है, उसी तरह अलवर को तबाह करने का भार इनके कंधों पर है ।

    जिस तरह इन्होंने पार्टी का क्रियाकर्म किया, इन्हें तुरन्त ही बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए था । किशनगढ़ बांस में डॉ करण सिंह यादव और बहरोड़ से डॉ आरसी यादव को पराजित करवाने के लिए भंवर ने खुलकर काम किया । राहुल की बैसाखियों का सहारा लेकर ये जिले से कांग्रेस का सफाया करने में तल्लीन है । जब ये अलवर से एमपी थे, तब विकास में इनका कोई योगदान नही था । फूलबाग में बैठकर कांग्रेस के क्रियाकर्म की योजना बनाते रहते है । ये जहां के भी प्रभारी रहे, कांग्रेस का पूरी तरह सफाया कर दिया है ।
    राजगढ़, कठूमर, तिजारा, मुंडावर तथा अलवर के वर्तमान विधायको को टिकट मिल जाए तो बहुत गनीमत होगी । राजगढ़ के जोहरिलाल और कठूमर के बाबूलाल बैरवा 75 वर्ष से ऊपर के होगये है । वैसे भी छवि पूरी तरह खराब है । दोनो मंत्री बनने की आस लगाए बैठे थे । मिला बाबाजी का ठुल्लू । मुंडावर से मंजीत चौधरी और अलवर शहर से संजय शर्मा पूरी तरह नकारा और अकर्मण्य साबित हुए । इनको टिकट देने से बेहतर होगा, प्रत्याशी खड़े ही नही किये जाए । भाजपा के ये दोनों न्यूनतम 50 हजार वोट से हारेंगे ।
    थानागाजी से कांतिलाल मीणा की स्थिति और छवि दोनो ठीक है । टिकट मिलती है तो जीत भी निश्चित है । तिजारा से बसपा के संदीप यादव अपनी प्रतिष्ठा पूरी धूमिल कर चुके है । अलबत्ता तो इनको न तो कांग्रेस से टिकट मिलेगी और न ही बसपा से । यदि मिल भी गई तो इनका सौ फीसदी हारना तय है । वैसे इस युवा विधायक ने कई पीढ़ियों का इंतजाम कर लिया है ।
    बात कर लेते है बीजेपी के अलवर से एमपी महंत बालकनाथ की । बेचारे को कई धूनी जमानी चाहिए । पार्टी में दो कौड़ी की इज्जत नही है और मंत्री के चपरासी तक इन्हें अंदर आने नही देते । अलवर जिले को ये बीस साल पीछे लेगये है । ये भी अपनी जमानत को बचा सके तो थोड़ी इज्जत बच जाएगी । वैसे 2 हजार की भीड़ एकत्रित करने की हैसियत नही रखते है । जिले में इनके द्वारा एक भी विकास कार्य नही करवाया गया है । उनका एक ही तर्क है कि कोई उनकी सुनता ही नही है ।