एसीबी पर लगाया आरक्षित वर्ग के अधिकारियों को झूठा फंसाने का आरोप,,

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जयपुर 1 मई 2022।(निक क्राइम) राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्पसंख्यक महासंघ ने राज्य में एसीबी द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही का विरोध नहीं करते हुए कहा है कि भ्रष्टाचारियों को पकड़ा जाए लेकिन एस सी, एस टी वर्ग के अधिकारियों को झूठा टारगेट करने, दुश्मनी निकालने और झूठा ट्रैप करने के खेल को एसीबी बंद करें।

एक संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्पसंख्यक महासंघ के जिलाध्यक्ष डी आर राठौड़, महामंत्री राम कुमार मीणा ने आरोप लगाया है कि जब से एसीबी के शीर्ष पदों पर मौजूदा अधिकारी आए हैं तभी से एस सी, एस टी और ओबीसी वर्ग के अधिकारियों को खास करके टारगेट किया जा रहा है शिकायत कर्ताओं का ऐसा काकस बन गया है की एसीबी के अधिकारी खुद शिकायतें लिखबाते है जिलों में अधिकारी कर्मचारियों को धमका कर वसूली का गोरख धंधा एसीबी ने चालू कर रखा है जो इन से नहीं डरता है उसे झूठे मामलों में फंसाते हैं महासंघ अधिकारियों ने आरोप लगाया कि दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं कि ए सी बी ने बाद में अपनी गलत कार्यवाही के लिए माफी मांग ली, कोर्ट ने दस्तावेजों को गलत मानते हुए ट्रैप करने को ही अनुचित ठहरा दिया, कई मामलों में बिना वजह आरक्षित वर्गों के अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामले बना दिए गए जबकि उच्च वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को सबूत होने के बाद भी निकाल दिया गया।

    राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्पसंख्यक महासंघ के जिलाध्यक्ष डी आर राठौड़, महामंत्री राम कुमार मीणा ने आर ए एस अधिकारी एसोसिएशन के इस दावे को दोहराया कि एसीबी के अधिकारी कौन से दूध के धुले हैं ए सी बी के अधिकारी कर्मचारियों की संपत्ति की जांच होनी चाहिए और बरसों से डेरा डाल चुके अधिकारियों को हटाना चाहिए। इसी तरह पुलिस द्वारा रोजनामचा ऑनलाइन किए जाने के बाद ए सीबी आज भी ऑफलाइन रोजनामचा दर्ज करती है तथा ट्रैप कार्यवाही के उपरांत मर्जी के मुताबिक कागजात भरती है।

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    महासंघ पदाधिकारियो ने बताया कि महासंघ के संज्ञान में कई मामले लाए गए जिनसे पता चलता है कि आरक्षित वर्गों के अधिकारियों को टारगेट किया गया । जे सी टी एन एल मैं निर्देशक वरिष्ठ आर ए एस अधिकारी विरेंद्र वर्मा के खिलाफ कार्यवाही की गई व घर पर एसीबी ने टेबल पर रुपए रखवा कर खुद जब्त कर लिए जबकि उनके खिलाफ प्रस्तुत गई की गई ट्रांसक्रिप्ट में रुपए मांगने का कोई दस्तावेज अथवा आवाज नहीं थी वरिष्ठ अधिकारी बीएल मेहरड़ा राजस्व मंडल अजमेर में बेहतर कार्य कर रहे थे एसीबी के पास रु मांगने और फैसलों में हेराफेरी करने की शिकायत नहीं थी। नगर निगम जयपुर में वित्तीय सलाहकार अचलेश्वर मीणा की कोई मांग अथवा फोन टेपिंग नहीं थी और ना उनसे कोई रिश्वत की राशि बरामद की गई लेकिन एसीबी ने ऐसा साबित कर दिया कि उनसे बड़ा कोई भ्रष्ट नहीं है।
    राजस्थान आवासन मंडल के तत्कालीन सहायक अभियंता विजय कुमार को झूठे ट्रैप में फंसा कर 45 दिन तक जेल के सलाखों में बंद रखा गया इस मामले में एसीबी को मुंह की खानी पड़ी, प्र करण झूठा होने के कारण एसीबी ने खुद एफआर लगाई तथा माफी मांगी लेकिन दोषी अधिकारियों के खिलाफ सरकार ने लंबा समय गुजरने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की
    एसीबी ने जयपुर में कैलाश बोहरा सहायक सहायक पुलिस आयुक्त को एक मामले में झूठा फंसाया,इस मामले में एसीबी की कई खामियां उजागर हुई है पीड़िता खुद बोहरा और उनके परिजनों को ब्लैकमेल कर रही थी, तथा उसके द्वारा 51 लाख की मांग रखी जा रही थी जिस पर न्यायालय ने मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं लेकिन एसीबी के दबाव में ब्लैकमेल किए जाने वाला मामला दर्ज नहीं किया जा रहा है।
    कैलाश बोहरा के मामले में एसीबी द्वारा प्रस्तुत चालान में जो कॉल डिटेल, लोकेशन बैंक स्टेट में ट और अन्य दस्तावेज दिए गए हैं उन सब में भारी विरोधाभास है और उससे साबित होता है कि पुलिस अधिकारियों ने बोहरा से पुरानी रंजिश निकाली है तथा अब बोहरा की लंबा समय गुजरने के बाद भी जमानत नहीं होने दी जा रही है जबकि इस तरह के मामलों में जमानत हो जाना आम बात है।
    महासंघ पदाधिकारियो ने कहा कि एसीबी ने आरक्षित वर्ग के खिलाफ दमन नीति जारी रखी तथा फर्जी ट्रैप करना बंद नहीं किया तो मजबूरन होकर महासंघ को बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा।