वकीलों ने की मांग,मुख्य न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के बाद कोई जिम्मेदारी नहीं मिले, धरना 31 वें दिन भी जारी रहा,,

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जयपुर 24 फरवरी 2022।(निक न्यायिक)राजस्थान हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मनोनयन में अनियमितता को लेकर 25 जनवरी से धरना जारी है आज 31 वें दिन भी धरना जारी रहा।
वकीलों ने सरकार से मांग की है कि मुख्य न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के बाद कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाए।

उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश 6 मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और यह परंपरा है कि मुख्य न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के बाद लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग अथवा किसी अन्य आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है वकीलों ने मांग की है कि मुख्य न्यायाधीश को 6 मार्च के पश्चात किसी भी पद पर नियुक्त नहीं किया जाए क्योंकि वरिष्ठ वकीलों का अपमान किया गया है वे 6 माह पहले ही राजस्थान में स्थानांतरित होकर आए हैं और उन्हें राजस्थान के अधिवक्ताओं के बारे में कोई जानकारी नहीं थी लेकिन आनन फानन में दस साल से पड़े हुए 129 वरिष्ठ अधिवक्ताओं के आवेदनों में से सिर्फ 26 अधिवक्ताओं का मनोनयन किया गया जबकि इनकी कोई सीमा नहीं थी वे 50 अधिवक्ताओं का मनोनयन कर सकते थे लेकिन ऐसा नहीं करके राजस्थान के 90000 वकीलों का अपमान किया है। इसलिए उनका विरोध बढ़ता जा रहा है और वकीलों का जोश बढ़ता जा रहा है शांतिपूर्ण तरीके से ऐतिहासिक धरना चल रहा है न्यायालय में काम काज भी किया जा रहा है और विरोध भी लगातार दिया जा रहा है आज धरने पर विमल चौधरी, पूनमचंद भंडारी, राजस्थान बार काउंसिल के पूर्व सदस्य और जयपुर बार के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह पूनिया, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व उपाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण बॉस, राजस्थान बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन इंदर राज सैनी, ज्योति पारीक, मनोज पारीक, कृष्ण सिंह जादौन, एस डी खासपुरिया, कामरेड सुरेश कश्यप, के एस रावत, हिम्मत सिंह, योगेन्द्र शर्मा, पंकज गुबी एम शर्मा, , शिव लाल मीणा, आर के चारण, विनोद पूनिया, सुनील अग्रवाल, सुमेर सिंह चौधरी, राजेंद्र सिंह, आई जे खतूरिया, अजीत सिंह लूनिया, हंसराज कुलदीप, एस एल सोनगरा सहित सैकड़ों अधिवक्ता धरने पर बैठे।
अधिवक्तागण का हस्ताक्षर अभियान जारी है वकीलों ने कहा वरिष्ठ अधिवक्ताओं का अपमान नहीं सहेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने यह भी मांग की हाईकोर्ट कॉलेजियम वकीलों में से जजों की नियुक्ति करते है उसमें भी अधिवक्ताओं से प्रार्थना पत्र आमंत्रित करने चाहिए और जो सीनियर अधिवक्ता मनोनयन करने के लिए गाइडलाइंस है वही गाइडलाइंस जजों की नियुक्ति के लिए होनी चाहिए और उनके प्रार्थना पत्रों को दस्तावेज सहित वेबसाइट पर डालना चाहिए ताकि समस्त अधिवक्ता यह जान सकें कि जो जज बनने जा रहे हैं उनमें कितनी काबिलियत है क्योंकि उनकी नियुक्ति से लाखों लोगों के भविष्य पर असर पड़ता है और जजों की नियुक्ति में महिलाओं की उपस्थिति नगण्य है 50 जजों में से कम से कम 10 महिलाओं का चयन होना चाहिए और इसके अलावा जजों की नियुक्ति में कोलिजियम में लोकल जजेज का बहुमत होना चाहिए क्योंकि बाहर के जजों को यहां के अधिवक्ताओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है।

    वर्तमान समय में मुख्य न्यायाधीश महोदय और वरिष्ठतम जज एम एम श्रीवास्तव जी हैं इसलिए कॉलेजियम में पांच जज होने चाहिए और बाहर से जब आते हैं तो कॉलेजियम जल्दी नहीं होना चाहिए उन्हें कम से कम छह महीने तक विभिन्न रोस्टर में बैठकर वकीलों की बहस सुनकर चयन करना चाहिए।
    इसके अलावा वकीलों में इस बात का भी रोष है कि 26 वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मनोनयन किया गया है उसमें सिर्फ एक महिला अधिवक्ता का मनोनयन हुआ है और एक महिला अधिवक्ता जिसका नाम कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के लिए भेजा था उनको भी वरिष्ठ वकीलों के मनोनयन में चयनित नहीं किया गया है तथा एससी एसटी और ओबीसी कि अधिवक्ताओं के नाम भी नजरअंदाज किए गए हैं ।