जयपुर 27 जनवरी 2022।(निक न्यायिक)राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर लॉयर नियुक्त करने में वरिष्ठ अधिवक्ताओं व प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं की अनदेखी की गई जिसके विरोध में आज दूसरे दिन अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट परिसर में गांधी जी की मूर्ति के नीचे धरना दिया।
धरने में विमला चौधरी, राजस्थान हाई कोर्ट सीनियर लॉयर्स बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष पूनम चन्द भंडारी, जयपुर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह पूनिया, राजस्थान बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष इंदर राज सैनी पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता ब्रह्मानंद सांधू, कृष्ण सिंह जादौन, योगेश टेलर, हिम्मत सिंह, इंदरजीत कथूरिया उत्तम शर्मा पुरुषोत्तम शर्मा महेंद्र सिंह यादव शिवचरण गुप्ता राजेंद्र शर्मा आर एस अग्रवाल सहित सैकड़ों अधिवक्ताओं ने धरना दिया। कल सद्बुद्धि यज्ञ किया जाएगा और सोमवार को महाधिवक्ता कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा क्योंकि सीनियर अधिवक्ता मनोनीत करने के लिए करीब 126 वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए थे और राजस्थान हाई कोर्ट ने 24 जनवरी को आदेश जारी कर सिर्फ 26 अधिवक्ताओं को ही वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा दिया जिसमें 15 जयपुर बेंच और 11 जोधपुर से चयनित किए गए लेकिन बहुत सारे प्रतिष्ठित सीनियर अधिवक्ता जिनका पूरा वकील समाज और न्यायिक जगत सम्मान करता है जिनको राजस्थान हाईकोर्ट में वकालत करते हुए करीब 30 से 60 वर्ष हो गए हैं और जिन्होंने हजारों मुकदमे लड़े हैं और जिनकी राजस्थान हाईकोर्ट में नियमित रूप से वकालत की है उनमें से करीब 100 वकीलो को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा नहीं देना वरिष्ठ अधिवक्ताओं का अपमान है वास्तव में तो वरिष्ठ अधिवक्ताओं को बिना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए यह सम्मान देना चाहिए था। राजस्थान हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश और क्रम संख्या दो के न्यायाधीश बाहर से स्थानांतरण होकर कुछ माह पूर्व ही आए हैं इसलिए शायद उनको समस्त अधिवक्ताओं की प्रतिष्ठा के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी
इसीलिए इन वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मनोनयन नहीं हुआ जिन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट न्याय व्यवस्था में सहयोग किया है जनहित याचिकाएं भी दायर की है और न्याय मित्र के रूप में भी न्यायालय में निशुल्क पैरवी की है पर ऐसा लगता है की न्यायाधीशों को अंधेरे में रखा गया है ।