जयपुर 23 मई 2021।(निक राजनीतिक) आम आदमी पार्टी ने कहा है कि राजस्थान में लोक लुभावनी *’मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना’* के नाम पर राज्य सरकार ने जनता को धोखा दिया है। स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम भरने के बाद भी आवेदकों को फ्री इलाज नहीं मिल रहा है। बड़े निजी अस्पताल ही चिरंजीवी बीमा योजना को ठुकरा कर मरीजों से नकद वसूल कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेन्द्र शास्त्री* ने एक बयान जारी कर कहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना लागू होने के साथ ही विफल हो गई। इस योजना के नाम पर सरकार ने जनता के साथ एक बड़ा धोखा किया है। निजी अस्पतालों पर शिकंजा कसे बिना ही इस योजना को लागू कर दिया। इसका असर यह हो रहा है कि निजी अस्पताल इस योजना में शामिल लाभार्थियों का इलाज करने से साफ-साफ मना कर रहे है। इस तरह की कई शिकायतें सामने आने के बाद भी राज्य सरकार ने अभी तक एक भी निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। नोडल अधिकारियों की नियुक्ति और हेल्पलाइन भी केवल कागजी साबित हो रही है।
आम आदमी पार्टी महिला विंग अध्यक्ष कीर्ति पाठक* ने कहा है कि चिरंजीवी बीमा योजना में अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि इसके तहत किन किन बीमारियों का इलाज होगा और किसका नहीं। सरकार उन बीमारियों के नाम लोगों को बताए जिनका चिरंजीवी बीमा योजना में इलाज हो सकता है। कीर्ति पाठक ने कहा कि इस योजना में सबसे बड़ा धोखा तो उन लोगों के साथ हुआ है जिन्होंने 850 रुपए का सालाना प्रीमियम जमा करा कर इस योजना में शामिल हुऐ है। प्रीमियम भरने के बाद भी उन्हें इलाज नहीं मिलना सरकारी तंत्र की विफलता के साथ-साथ उनके उपभोक्ता अधिकारों का भी उल्लंघन है। उन्होंने अफसोस जताया कि *महामारी अधिनियम लागू होने के बावजूद सरकार ने अभी तक किसी भी निजी अस्पताल पर कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने चिरंजीवी योजना को लेकर जो असमजंस है, उन्हें भी दूर करना चाहिए। इस योजना को लेकर अभी तक बहुत भ्रम है। सरकार की ओर से जो पॉलिसी जारी की जा रही है उसमें इस योजना के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों और देय पैकेज की कोई जानकारी तक नहीं है। यह पॉलिसी भी डिजिटली जारी की जा रही है जबकि प्रदेश में अभी भी बड़ी आबादी इंटरनेट जैसी सुविधाओं से वंचित है। कीर्ति पाठक ने सरकार से मांग की वे यह भी स्पष्ट करें पूर्व में चल रही मुफ्त दवाई एवं जांच योजना को ठंडे बस्ते में क्यों डाल दिया गया? उन्होंने सरकार से निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए उन पर शिकंजा कसने की मांग की।