जयपुर 24 दिसम्बर 2020।(निक क्राइम) जब राजधानी के मानसरोवर इलाके में पुलिस पत्रकारों को न्याय दिलाने में असमर्थ है तो *आमजन में विश्वास और अपराधियों में खौफ* पुलिस की टैग लाइन की लाज कैसे बचायेगी।
सिलसिलेवार बात करें तो 8 दिसम्बर की रात अभिषेक सोनी पर हुआ हमला,परिणाम स्वरूप हुई उसकी मौत। पुलिस ने दो दिन पहले मात्र एक अपराधी को गिरफ्तार किया है,बाकियों की गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं,
दूसरा वाकिया भी 8 दिसम्बर की रात का है,वरिष्ठ पत्रकार सन्नी आत्रेय को एसीपी मानसरोवर संजीव चौधरी के नाम से जान से मारने की धमकी मिली,जिसकी सूचना एक घन्टे बाद ही वट्सअप पर एसीपी मानसरोवर संजीव चौधरी को देदी गयी थी।
गौरतलब है कि स्वयं संजीव चौधरी ने अब तक जांच कर इसका खुलासा क्यों नहीं किया,जब की धमकी वाले के नम्बर उनके पास हैं, ऑडियो सार्वजनिक है।
*इससे भी गम्भीर बात संबधित थाने श्याम नगर में 14 दिसम्बर को सन्नी आत्रेय का पत्र,परिवाद/एफ आई आर दर्ज करने बाबत पहुंच चुका है,जिसकी प्राप्ति रशीद है। अब सवाल उठता है कि श्याम नगर एस एच ओ संतरा मीणा अपने दो बार हुए तबादले दो दिन में रसूख के चलते निरस्त करा लेती हैं तो परिवाद दायर करने में इतनी देरी क्यों?*
तीसरी घटना 23 दिसम्बर की है वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट्स गिरधारी पालीवाल ने वीटी रोड स्थित पेट्रोल पम्प पर ,कम पेट्रोल नाप के लिए टोका तो पम्प कर्मचारियों ने बुजुर्ग पालीवाल पर हमला कर दिया, उनके गम्भीर चोटें आई हैं।
सूबे के मुखिया अशोक गहलोत व पुलिस के आला अधिकारियों से अपील कि राजस्थान पुलिस की स्वच्छ छवि को दागदार करने वाले ऐसे पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करे व पीडित पत्रकारों को तुरन्त न्याय दिलाने के साथ आमजन में विश्वास हासिल करे।