राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ गांधीगिरी के रास्ते से अपनी मांगों की अनुपालना करवाएगा,

1234

जयपुर 30 सितम्बर 2020।(निक सामाजिक) राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ राजस्थान द्वारा उच्चतम न्यायालय के निर्णय की अनुपालना में राज्य सरकार द्वारा पेंशन आदेश जारी नहीं करने व इसे लम्बित करने के न्यायिक कुप्रयासों पर पनपे आक्रोश एवं सरकार द्वारा शिक्षा कार्मिकों को वंचित करने की नीति को उजागर करने के लिए संघ के प्रांतीय आह्वान पर प्रदेश के सभी जिलों में पत्रकार वार्ता आयोजित की जा रही है। इसके तहत बुधवार को जयपुर में राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के जयपुर जिला अध्यक्ष ईश्वर सिंह शेखवात व जिला महामंत्री प्रदीप प्रकाश शर्मा ने प्रेस वार्ता आयोजित कर बताया कि अपनी मांगों को सरकार से मनवाने के लिए 2 अक्टूबर को गांधी जयन्ती पर गांधीवादी तरीके से प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने सरकार द्वारा ऐसे शिक्षा कार्मिकों के प्रति दोयम दर्जे की नीति अपनाने, उन्हें संविधान प्रदत्त अधिकारों के समान कार्य समान परिलाभ से वंचित करते हुए उच्च न्यायालय के निर्णय व आदेश को भी दरकिनार कर कार्मिकों को पेंशन परिलाभ से वंचित करने के कुप्रयासों व लंबित करने जैसे विषयों व आदेशों की तरफ पत्रकारों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि सरकार द्वारा समय-समय पर बनाए गए असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक कृत्यों में वर्ष 2011 में सरकार ने अनुदानित विद्यालय से सरकारी सेवा में समायोजन किया, जब समायोजन के लिए पूर्व की भांति बने हुए नियम राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम 1996 के नियम 4.2 के तहत अधिग्रहण कर उन्हें राजस्थान सिविल पेंशन नियम 1996 का लाभ दिया जाता था, जिसमें सभी परिणाम सरकारी कार्मिकों की भाँति मिलते थे लेकिन उक्त नियमों को दरकिनार कर सरकारी नौकरशाही ने कार्मिकों के लिए अलग से आरवीआईएस 2010 नियम इसलिए बनाए ताकि कार्मिकों को पदोन्नति स्थानांतरण, ग्रामीण क्षेत्र में सेवा की अनिवार्यता तथा पेंशन नियम 1996 से वंचित किया जा सके। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में न्यायिक मामलों के निर्णय की अनुपालना करने की वचनबद्धता कर लोगों से वोट प्राप्त किए लेकिन आज सरकार स्वयं के घोषणापत्र से मुकरते हुए इस तरह के न्यायिक मामलों को लागू नहीं कर लोगों के साथ छलावा की नीति को उजागर कर रही है।

प्रेस वार्ता के माध्यम से कार्मिकों ने पत्रकारों को बताया कि क्या इसे ही लोक कल्याणकारी सरकार कहते हैं कि उन्हें उनके संविधानिक अधिकारों को छीनना, सामाजिक सुरक्षा की नीति का परित्याग करना, न्यायालय के आदेशों का सरकार द्वारा सम्मान नहीं करना और अपनी ही कांग्रेस पार्टी के जनप्रतिनिधियों की अभिशंषाओं की अनदेखी करना व सरकार के साथ सामाजिक सरोकार रखने वाले कार्मिकों को सामाजिक सुरक्षा जैसे संवैधानिक अधिकारों को छीनने के लिए उन्हें लंबित बनाने की नीति कायम करना जैसी विषयों से पत्रकारों को अवगत कराया।प
इस अवसर पर भूपेंद्र कुमार शर्मा, डॉ प्रशांत सिंह नरूका, ज्ञान किशोर चतुर्वेदी, शीतल प्रकाश जैन, शैलेश पारीक सहित अन्य उपस्थित रहे।