हॉट डॉग टेक्निक, बोन कैंसर के उपचार में नया आयाम इस टेक्निक के जरिए तीन से चार माह में हड्डी का जुड़ना संभव,बच्चों के बोन डवलपमेंट में सहायक यह तकनीक 

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जयपुर 15 फरवरी 2020।(निक चिकित्सा) हॉट डॉग टेक्निक बोन कैंसर से जुझ रहे रोगियों में एक वरदान के रूप में सामने आई है। इस तकनीक की सहायता से रिसाइकल बोन में एक बार फिर से रक्त का प्रवाह कर हड्डी को जोड़ा जाता है। वहीं अब यह हड्डी महज 3 से 4 माह में जुड़कर अपने सामान्य मुवमेंट में आती है। यह अनोखी सर्जरी भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ऑर्थोऑन्को सर्जन डॉ प्रवीण गुप्ता, प्लास्टिक रिकंस्टेªक्टिव सर्जन डॉ उमेष बंसल और डॉ सौरभ रावत की टीम की ओर से की गई है। इस सर्जरी में कैंसर से जुझ रहे 13 वर्षिय बच्चे के बोन को रेडिएषन की सहायता से कैंसर मुक्त कर, प्लास्टिक सर्जरी के जरिए उसमें रक्त का प्रवाह बनाने में सफलता हासिल की गई है।
डॉ प्रवीण गुप्ता ने बताया कि बोन कैंसर के रोगियों में ऑपरेशन से कैंसर मुक्त कर हड्डी को पुनः इस्तेमाल किया जाता है। कैंसर मुक्त करने के लिए रेडियोथैरेपी व लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल अभी प्रचलन में हैं। पुनः उपयोग की गई हड्डी को वापस जुड़ने में एक से दो साल लग जाते हैं और जुड़ने के बाद भी कमज़ोर ही रहती हैं। वही इस तकनीक के द्वारा कैंसर मुक्त हड्डी में रक्त का प्रवाह बनाने से यह हड्डी वापस जुड़ने में तीन से चार महीने का समय लेती है जो कि जुड़ने के बाद पहले की तरह मजबूत हो जाती हैं। हॉस्पिटल में तीन माह पहले इस तकनीक से पहला केस किया गया है, इसके सफल परिणाम के बाद अन्य रोगियों के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। 

डॉ सौरभ रावत ने बताया कि कैंसर मुक्त की गई हड्डी में रक्त प्रवाह बनाने के लिए दूसरे पांव की हड्डी के टुकड़े की सहायता ली गई। दूसरे पांव की हड्डी के टुकड़े को इस तरह निकाला गया कि उस पर कोई हानिकारक प्रभाव ना पड़े; उसके बाद लिए गए टुकड़े को कैंसर मुक्त हड्डी से समायोजित कर उसमें रक्त प्रवाह बनाया गया। डॉ उमेष बंसल ने बताया कि इस तकनीक में इससे कुछ ही माह में रोगी स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपने ऑपरेट किए गए पांव को मुवमेंट देने के साथ काम कर सकेगा। 
यह है फायदें,,,,
इस तकनीक में मरीज का टिशू ही मरीज में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे सर्जरी का खर्च भी कम होता है।
रोगी की रिकवरी तेजी से होती है।
उपचारित अंग का मूवमेंट सामान्य की तरह रहता है।
बच्चों में बोन के विकास में रूकावट नहीं डालती।
सभी उम्र के लोगों में इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। 

हर साल तीन लाख बच्चें हो रहे कैंसर का शिकार,,,,

डॉ गुप्ता ने बताया कि कैंसर रोग बच्चों में भी तेजी से बढ रहा है। डब्यूएचओ के अनुसार हर साल करीब 3 लाख बच्चे कैंसर का षिकार होते हैं, जिनमें से 78 हजार से ज्यादा अकेले भारत में होते हैं। 0 से 19 साल की उम्र के बच्चों में ब्लड कैंसर, ब्रेन टयूमर, एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, होज्किन्ज लिम्फोमा, साकोर्मा और एंब्रायोनल टयूमर के साथ ही बोन कैंसर के केसेज देखे जाते है। अन्य कैंसर के मुकाबले बोन कैंसर के केसेज विष्वभर में तीन से आठ प्रतिषत है। देष में हर साल करीब 400 बच्चों में बोन कैंसर केसेज देखे जाते है। बीएमसीएचआरसी हर साल करीब 25 बच्चे बोन कैंसर का उपचार ले रहे है।