अब 3 से 4 लाख रोज़ की कीमत चुकाने पर बनेगी सरकार की छवि,15 करोड़ का टेंडर मात्र डिज़ाइन के लिए एक एजेंसी को देने की तैयारी,जबकि विभाग के मुखिया स्वयं जमानत पर हैं, तो छवि सुधरेगी कैसे,
मीडिया इस पर सवाल ना उठाये उसके लिए जांच कमेटी के बहाने मीडिया को डराने का कुत्सित प्रयास जारी,जबकि मीडिया आईना होता है सरकार का,,
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जयपुर 8 फरवरी 2020।(निक विशेष) DIPR,राजस्थान का सूचना जनसम्पर्क विभाग,अपनी स्वायत्त इकाई राजस्थान संवाद द्वारा सभी समाचार पत्र पत्रिकाओं,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि में अपने रिलीज आर्डर पर विज्ञापन जारी करता है,जिसके लिये वह विज्ञापन एजेंसीज को टेंडर के जरिये लगभग 4.8 प्रतिशत कमीशन देकर पंजीयन करता है,शेष 15 प्रतिशत में से स्वयं रखता है।
पंजीयन विज्ञापन एजेंसियों से वह विगत कई वर्षों से निशुल्क डिज़ाइन बनवा विज्ञापन जारी करने का ऑर्डर देता है।
समय के साथ साथ संवाद विवादों के घेरे में आता चला गया,और आज की ताजा स्तिथि में पूरा का पूरा विभाग भ्रष्टाचार में डूबा हुआ नजर आने लगा है।
इसका ताजा उदाहरण घोटाले में लिप्त,ब्लैक लिस्टेड क्रियांस एडवरटाइजिंग के पूर्व निदेशक अजय चोपड़ा जेल जाने के बाद,जो अब जमानत पर हैं, विश्वश्त सूत्रों के हवाले से खबर है कि इस एजेंसी का रुका हुआ भुगतान गहलोत सरकार के इशारे पर विभाग के मुखिया जो खुद जमानत पर हैं,ने करवा दिया है और अब अजय चोपड़ा के रसूकात के चलते, ओमनी मीडिया कमन्यूकेशन प्राइवेट लिमिटेड,जिसमें अजय चोपड़ा के बेटे विरल चोपड़ा निदेशक हैं, को 15 करोड़ का ठेका दिलाने की तैयारी पूरी हो चुकी है।
जिसके लिए कुछ दिनों पूर्व विभाग ने टेंडर जारी किया था।
विभाग ने संवाद के जरिये लूट खसोट मचा घोटाला करने के लिये रास्ता निकाल,सरकार के प्रचार प्रसार के लिए विज्ञापन एजेंसी के अतिरिक्त डिज़ाइन एजेंसी का खाका खींचा जा चुका है,अब मात्र अपनी चहेती एजेंसी को ठेका मिले जिसके लिए नियुक्त करने की शर्ते ऐसी रखी है,जिससे राजस्थान की एजेंसियां रोड़े नहीँ अटका सके,शर्त के मुताबिक डिज़ाइन एजेंसी का टर्न ओवर 15 करोड़ होना चाहिए,साथ ही लगभग 5 करोड़ का आर्ट वर्क के आर्डर होने चाहिए।
अब आप स्वयं सोचे कि राजस्थान का सबसे बड़ा विज्ञापन स्त्रोत सरकारी विज्ञापन हैं जब dipr ने अपने विज्ञापनों में भारी कटौती कर दी है,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए फिक्स अमाउंट की नीति निर्धारित कर दी तो यहाँ की परिस्तिथि के हिसाब से टेंडर की शर्तें बेमानी लगती हैं।
सबसे बड़ी बात रोज़ 3 से 4 लाख रुपये की कीमत पर क्या आवश्यकता ऐसी डिज़ाइन एजेंसी की जबकि आर्थिक तंगी के चलते ऐसे घोटालेबाज़ों को बढ़ावा क्यों,जबकि पंजीयक विज्ञापन एजेंसियाँ डिज़ाइन बनाने में सक्षम हैं।
अजय चोपड़ा के अतिरिक्त ACB में पूरे विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज हैं, जिनकी संख्या,,,,
404/14,405/14,406/14,407/14,408/14 है।
बावजूद इसके वित्तीय सलाहकार व संयुक्त निदेश,अरुण जीशी बरसों से एक ही सीट पर विराजे हैं,,और आयुक्त व संयुक्त निदेशक DIPR दो विभागों का काम देख रहे हैं,,
अब लेटेस्ट अपडेट यह है कि एसीबी के महानिरीक्षक दिनेश एन एम से संवाद के बाद यह जानकारी newindia खबर सबके साथ साझा करेगा कि महानिदेशक आलोक त्रिपाठी पुनः इन सब मामलों की जांच शीघ्र करने वाले हैं।
गौरतलब है कि विभाग की वित्तीय सलाहकार अनुपमा शर्मा जो की आंकड़ो के हेर फेर में माहिर है,उनके खिलाफ राजस्थान सरकार के वित्त विभाग ने जांच के लिए आयुक्त व सरकार को पत्र भेजा जा चुका है,,,तथ्यों को अगर दुरुस्त करना चाहे सूचना जनसंपर्क विभाग तो उसका स्वागत है
क्रमशः,,,
Special report by SUNNY ATREY editor Newindia khabar, state president of periodical press of India, national journalist association
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