प्रतिष्ठित द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान कवि दीपक रमोला को

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जयपुर 27 जनवरी 2020।(निक साहित्य) 13वे जयपुर साहित्य उत्सव के अंतिम दिन युवा कवि और गीतकार दीपक रमोला को प्रतिष्ठित द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान से नवाजा गया । युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहन के लिए दिए जाने वाले भास्कर ग्रुप के इस सम्मान के तहत 1 लाख रुपए प्रदान किए जाते हैं। दीपक रमोला को यह पुरस्कार उनके लिखे काव्य संग्रह ‘इतना तो मैं समझ गया हूँ’ के लिए दिया जा रहा है। यह काव्य संग्रह वाणी प्रकाशन के उपक्रम ‘युवा वाणी’ से प्रकाशित हुआ था. दीपक रमोला ने अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म वजीर का अतरंगी यारी गीत लिखकर प्रसिद्ध‌ि पाई थी।

द्वारका प्रसाद अग्रवाल पुरस्कार अब तक साहित्यकार प्रभात रंजन को उनकी पुस्तक ‘कोठा गोई’ के लिए , लेखक यतीन्द्र मिश्र को ‘लता सुर गाथा’ और लेखक सत्य व्यास को उनकी बेस्ट सेलर किताब ‘बनारस टॉकिज’ के लिए दिया गया था ।

द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान से नवाजे जाने पर दीपक रमोला ने अपने विचार रखते हुए कहा “मैं वास्तव में उन लोगों का विन्रम आभारी हूँ,जिनसे मुझे हमेशा प्यार,प्रशंसा प्राप्त हुई और जिनके महान काम को मै हमेशा अनुशरण करता हूँ. मैं श्रीमती श्रद्धा बख्शी जैसी शिक्षकों के प्रति आभारी हूँ जिन्होंने कविता को कभी अपने छात्रों के लिए सजा के रूप में नहीं बल्कि सामूहिक निर्माण और रचनात्मकता के हथियार के रूप में माना। मैं वाणी प्रकाशन का भी विशेष आभारी हूँ , जो हमेशा अच्छी लेखनी को वरीयता देते हैं। यह उपलब्धि ऐसे समय में आयी है जब युवा चेहरे अंदर और बाहर फिट होने की दुविधा का सामना कर रहे हैं। मैं खुद इस प्रक्रिया का हिस्सा रहा हूं .जब तक किसी की अपनी आवाज सही है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने अंदर या बाहर हैं।

लेखक दीपक रमोला को ‘इतना तो मैं समझ गया हूँ’ काव्य संग्रह के लिए प्रतिष्ठित द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान मिलने पर वाणी प्रकाशन के अध्यक्ष अरुण माहेश्वरी ने कहा कि “युवा वाणी से प्रकाशित इस पुस्तक के लिए दीपक रमोला को प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जाना हमारे लिए गर्व के बात है,वे एक चर्चित और प्रतिभावान कवि हैं और उनकी प्रतिभा के कारण ही यह पुस्तक प्रकाशन के साथ ही काफी लोकप्रिय और चर्चित हुई. ‘इतना तो मैं समझ गया हूँ’ काव्य संग्रह में जीवन हैं , जीवन के रंग हैं और रंगों के साथ-साथ जीवन शैली हैं.”

कवि के बारे में

मैं तो बस यह सोच मन्त्रमुग्ध रहता हूँ कि अगर दुनिया की जनसंख्या 7.244 अरब है तो उतनी ही जीवन शिक्षाएँ हैं, जिनकी रौशनी लेकर आप जीवन की अँधेरी गलियों में उजाला पा सकते हैं’ दीपक रमोला प्रोजेक्ट फ्युएल के प्रवर्तक हैं। FUEL का अर्थ है: Forward the Understanding of Every Life Lesson इनकी संस्था संसार भर के हर उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों से जीवन की शिक्षा एकत्रित करती है। दीपक ने यह प्रोजेक्ट सत्रह वर्ष की आयु से आरम्भ किया था। इन्होंने शिक्षा को नवीन मोड़ दिया और आजतक चार वर्ष के बच्चों से लेकर छियानवे वर्ष की उम्र की नानी को पढ़ा चुके हैं। नेपाल के मानव तस्करी व भूकम्प से पीड़ित लोगों को राहत देने का प्रयास किया तो कभी यूरोप में निर्वासित सीरियाई शरणार्थियों का दर्द बाँटा। दीपक मुम्बई विश्वविद्यालय से मास मीडिया में स्वर्ण पदक विजेता होने के साथ-साथ यूनाइटेड नेशंस में वक्ता, टेड वक्ता, शिक्षाविद्, लेखक, अभिनेता और गीतकार हैं। एक गीतकार के रूप में इन्होंने माँझी :द माउंटेन मैन, टाइम आउट, डियर डैड, मानसून शूट आउट, और वजीर का प्रसिद्ध ‘अतरंगी यारी’ गीत लिखा है जिसे अमिताभ बच्चन व फरहान अख़्तर ने आवाज़ दी है । दीपक ने जून 2017 में ‘वाइज वॉल’ प्रोजेक्ट चलाया जिसमें देश भर के तक़रीबन दस कलाकारों और सौ स्वयं सेवकों के द्वारा उत्तराखण्ड के पलायन से प्रभावित गाँवों को पुनर्जीवित करने का उल्लेखनीय अभियान चलाया

द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान के बारे में

हिंदी, लाखों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा, भारत की आधिकारिक भाषा है और दुनिया में बोली जाने वाली दूसरी सबसे बड़ी बोली है। सबसे भरोसेमंद हिंदी प्रिंट मीडिया होने के नाते, दैनिक भास्कर समूह ने युवा नवोदित हिंदी लेखकों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान की स्थापना की।

यह पुरस्कार हिंदी साहित्य के संवर्धन पर जोर देता है, जो व्यक्तियों द्वारा किए गए उत्कृष्ट योगदान के माध्यम से प्रदर्शित होता है। युवा भारतीय लेखक, जिन्होंने अपने अनुकरणीय कार्यों के माध्यम से उच्च मानदंड स्थापित किए हैं, इस मान्यता को जीतते हैं। कम उम्र में हिंदी साहित्य की दुनिया में उनके अमूल्य योगदान के लिए विजेता को 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। पुरस्कार एक उच्च बेंचमार्क स्थापित करके उत्कृष्टता के लिए एक दृढ़ प्रतिबद्धता सुनिश्चित करता है।

भारतीय लेखकों की पुस्तकें हमारे साहित्य के लिए एक महान जोड़ हैं, लेकिन जब यह काम युवा लेखकों द्वारा अपनी राष्ट्रीय भाषा में प्रस्तुत किया जाता है, तो यह और अधिक ऊंचा हो जाता है। विजेता के अंतिम रूप से घोषित होने से पहले शॉर्टलिस्ट किए गए सबमिशन दैनिक भास्कर के संपादकीय बोर्ड के कई हिस्सों से होकर गुजरते हैं। संपादकीय पैनल विभिन्न आधारों पर प्रविष्टि का न्याय करता है जैसे: विषय की जटिलता, भाषा का उपयोग, बड़े पैमाने पर लोगों और समाज पर काम के प्रभाव को डालती है।

युवा वाणी के बारे में

“युवा वाणी” 35 सालों से संजोयी जा रही वाणी प्रकाशन ग्रुप की उत्कृष्ट पद्यति है जिसमें हिंदी के समकालीन युवा हस्ताक्षरों को प्रकाशित किया जाता है। ’80 के दशक में अरुण कमल, ’90 में उदय प्रकाश, अनामिका, ‘2000 में प्रभात रंजन, गीताश्री इत्यादि युवा वाणी के ब्रांड अम्बेसडर रहे हैं। नयी सदी के दूसरे दशक में हिंदी एक वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है। युवा लेखक, इतिहासकार, अलोचक, ग्राफ़िक नॉवेलिस्ट, कवि, शायर और गीतकार जिनकी लेखनी लोकल यानि आँचलिक तत्वों से भरपूर है, और साथ ही ग्लोबल मुद्दों को अपनी ज़मीन से जोड़ती है- वह युवा वाणी के तहत प्रकाशित किये जा रहे हैं।