नौ दिवसीय चिल्ड्रंस फेस्टिवल में ‘तिजी फेस्टिवल – ड्राइविंग आउट डीमन्स‘ एवं ‘पंचतंत्र‘ एग्जीबिशंस का हुआ उद्घाटन –मंगलवार को डॉ. अंकित पारीक एंड ग्रुप देगा चिल्ड्रन इंस्ट्रूमेंटल परफॉर्मेंस,

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*राजस्थान के कला एवं संस्कृति मंत्री ने
जेकेके में दो प्रदर्शनियों का किया उद्घाटन*

जयपुर 6 जनवरी2020।(निक कल्चर) राजस्थान सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्री, डॉ. बी. डी. कल्ला ने सोमवार को जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में दो एग्जीबिशन- ‘तिजी फेस्टिवल – ड्राइविंग आउट डीमन्स‘ एवं ‘पंचतंत्र‘ का उद्घाटन किया।
ये एग्जीबिशन जेकेके ने इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स के सहयोग से लगाई है। इनमें हकु शाह की पेंटिंग एवं कलमकारी कार्य के साथ-साथ तिजी फेस्टिवल के फोटोग्राफ एवं मास्क प्रदर्शित किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर जेकेके की महानिदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता एवं अतिरिक्त महानिदेशक (तकनीकी) फुरकान खान भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर, कला एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि तिजी एक्जीबिशन में नेपाली संस्कृति पर आधारित कलाकृतियों में बौद्ध संस्कृति एवं लामा जनजीवन को दर्शाया गया है। सांस्कृतिक दृष्टि से हम लोग एक दूसरे के बेहद करीब है। मुखौटों की संस्कृति हमारे देश में भी है, बौद्ध दर्शन में भी है और दक्षिण भारत के नृत्यों में भी देखने को मिलती है। इन प्रदर्शनी को देख कर हमारी नई पीढ़ी प्रेरणा लेगी। इसी तरह, ‘पंचतंत्र‘ पर आधारित प्रदर्शनी अपने आप में अनूठी है। प्रत्येक कलाकृति एक अलग कहानी कह रही है। इस प्रदर्शनी में पंचतंत्र की कहानियों को कलात्मक रूप से चित्रित किया गया है, जिससे यह बच्चों के लिए दर्शनीय और प्रेरणादायी है।

*‘थर्स्टी क्रो रिटर्न‘ नाटक का हुआ मंचनः*
सोमवार को रंगायन में सुबह सुवोजीत बंद्योपाध्याय द्वारा निर्देशित एवं परिकल्पित नाटक ‘थर्स्टी क्रो रिटर्न‘ का बच्चों के लिए विशेष रूप से मंचन किया गया। मनीष जोशी लिखित इस नाटक ने उपस्थित स्कूली बच्चों से लेकर अभिभावकों को नैतिक तथा वैचारिक रूप से प्रभावित किया। नाटक में आधुनिक एवं डिजिटल भारत की विडंबना को प्रदर्शित किया गया, जहां आजादी के 70 वर्ष बाद भी छह समुदाय सामाजिक न्याय के लिए तरस रहे हैं। नाटक में प्रस्तुति गीतों एवं नृत्यों ने इसे और भी अधिक प्रभावशाली बना दिया।

नाटक विशेष रूप से दलितों के साथ-साथ अल्पसंख्यकों एवं समाज के उन कमजोर वर्गों पर केंद्रित था, जो अब भी संवैधानिक अधिकारों से वंचित है। इसमें कौवे को प्रतीकात्मक रूप से समाज में अंधविश्वास से ग्रस्त तबके को दर्शाया गया जो वर्तमान दौर में भी जाति एवं संप्रदाय के नाम पर बंटे हुए है। नाटक के जरिए संदेश दिया गया कि जब सामाजिक अन्याय समाप्त होंगे तभी ‘इंडिया शाइनिंग‘ का नारा सही मायनों में सार्थक होगा।

नाटक के कलाकारों में सुभोमय डे (शेर बंदर), सौरव चक्रवर्ती (कौवा), सौरव बनर्जी (गाय) अशोक कामिला (घोड़ा) व देवब्रत पॉल (भेड़िया) शामिल थे। इनके अलावा अनिरुद्ध विश्वास (सेट डिजाइन)य सुवोजीत बंद्योपाध्याय व मंजिरा डे (वेशभूषा) तथा सुपर्णो रॉय (प्रॉप्स) का सहयोग रहा। संगीत टीम में सौविक हलदर, सुमन पॉल, सुमन बागानी, देवराज मुखर्जी और बिश्वजीत भौमिक थे। लाइट डिजाइन शांतनु पांडा, नम्रता मुखर्जी और अंवशा नंदी द्वारा की गई।

*डॉ. अनीता भटनागर की स्टोरीटेलिंग वर्कशॉप*
बच्चों की प्रतिभा तथा उनमें साहित्य की समझ विकसित करने के उद्देश्य से 5 से 8 वर्ष तथा 9 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए स्टोरीटेलिंग वर्कशॉप आयोजित की जा रही है। वर्कशॉप के प्रथम दिन 35 से अधिक बच्चे शामिल हुए। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एवं लेखिका, डॉ. अनीता भटनागर जैन द्वारा संचालित इस वर्कशॉप में बच्चों को इंटरेक्टिव स्टोरीटेलिंग सेशन के जरिए पर्यावरण एवं नैतिक मूल्यों के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘दिल्ली की बुलबुल‘ में से ‘नानी का करिश्मा’, ‘बीमार ताज महल’ और ’सोन चिरैया’ आदि कहानियां सुनाई। कहानियां सुनाने के दौरान उन्होंने बच्चों से चर्चा की और उनसे हाईजीन, खान-पान की आदतों, स्वच्छता एवं जल संरक्षण सहित विभिन्न विषयों पर प्रश्न पूछे।

*मंगलवार को ये कार्यक्रम*
संगीत पसंद करने वाले बच्चों के लिए चिल्ड्रन‘स फेस्टिवल के तहत जेकेके की ओर से मंगलवार, 7 जनवरी को प्रातः 9.30 बजे रंगायन में संगीत पर आधारित प्रस्तुतियां आयोजित की जाएंगी। यह कार्यक्रम डॉ. अंकित पारीक के निर्देशन में होगा। इसी प्रकार स्टोरी टेलिंग वर्कशॉप्स का संचालन डॉ. अनीता भटनागर जैन (सेवानिवृत्त आईएएस) द्वारा कृष्णायन सभागार में तहत प्रातः 9 से 11 बजे (5 से 8 वर्ष) और प्रातः 11.30 से 1 (9 से 14 वर्ष) बजे किया जाएगा। इसके अतिरिक्त मध्यवर्ती में मनोज जोशी द्वारा संचालित पेंटिंग वर्कशाप का मंगलवार को समापन होगा।