फोर्टिस एस्कॉर्ट्स की मेजबानी में दो दिवसीय फेशियल ट्रॉमा पर एकेडमिक प्रोग्राम

949

रेजिडेंस एवं फैलोज चिकित्सको को सिमुलेशन द्वारा अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर चिकित्सकीय परिणामों के लिए किया गया प्रशिक्षित……..
यह पाठ्यक्रम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों संकाय के सदस्यों की उपस्थिति में और एओ सीएमएफ के साथ मिलकर आयोजित किया जा रहा है, जो ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, ईएनटी, सिर और गर्दन की सर्जरी, नेत्र विज्ञान और न्यूरोसर्जरी के क्षेत्रों के चिकित्सकों के विश्वव्यापी नेटवर्क है……..
इस फेस-टू-फेस इंटरैक्टिव कोर्स में शॉर्ट लैक्चर्स, सिमुलेशन (व्यक्तिगत प्रशिक्षण), छोटे ग्रुप डिस्कशन्स और प्रेक्टिल एक्सपीरिएंश के संयोजन के माध्यम होगा………
लगभग 100 से अधिक प्रतिभागी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे है जिनमें योग्य सर्जन जिन्हे लगभग 5 वर्षो का अनुभव है रेजिडेंट डॉक्टर्स एवं फैलोज शामिल है ……
दुर्गटना ग्रसित लोगो में से अधिकतर लोगो को विभिन्न तरह की चोटे होती है जिसकी वजह से उन्हें एनेस्थेसियोलॉजी, ओटोलर्यनोलोजी, ट्रॉमा सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, नेत्र विज्ञान और मौखिक और मैक्सिलोफैशियल सर्जरी के विभिन्न विषयों के बीच समन्वित प्रबंधन की आवश्यकता होती है।

जयपुर, 07.12.2019 ।(निक चिकित्सा) घेरलू एवं सड़क हादसों के कारण फेशियल फ्रै‌क्चर की घटनाओं की दिन -प्रतिदिन बढ़ती संख्या के मध्यनजर, फोर्टिस हॉस्पिटल जयपुर में चिकित्सको के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया| इस कार्यक्रम में डॉ.संदीपन मुकुल, डायरेक्टर प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी, फोर्टिस जयपुर के सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों संकाय के सदस्यों की उपस्थिति में और एओ सीएमएफ के साथ मिलकर आयोजित किया जा रहा है, जो ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, ईएनटी, सिर और गर्दन की सर्जरी, नेत्र विज्ञान और न्यूरोसर्जरी के क्षेत्रों के चिकित्सकों के विश्वव्यापी नेटवर्क है।
ऑरोफेशियल चोटों के पीड़ित में अन्य रोग के बढ़ने की तथा अन्य रोग होने की संभावना होती है क्योंकि ऐसे मरीजों में देखभाल खर्च अधिक होता है चोटों से शारीरिक सौंदर्य विकृति आती है उनकी शारीरिक क्रियाकलाप भी प्रभावित होती है |
डॉ.संदीपन मुकुल, डायरेक्टर प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी, फोर्टिस जयपुर ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फेशियल फ्रै‌क्चर हादसों का सबसे दुखद पहलू है। शहरों एवं हाईवे पर बढ़ रही दुर्घटनाओं के कारण घायल मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए, हम चिकित्सकों और सर्जनस के लिए अपनी क्षमता एवं कौशल को बढ़ाना आवश्यक है ताकि इस प्रकार के मरीजों में आने वाली विकृतियों को काफी हद तक कम किया जा सके और मरीजों को उनका वास्तविक स्वरूप लौटाया जा सके ताकि वे बेहतर एवं आत्मविश्वास पूर्ण जीवन जी सकें|
यह दो दिवसीय पाठ्यक्रम में सिमुलेशन अर्थात प्रत्यक्ष रूप से प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के माध्यम से छोटे लेक्चर्स, ग्रुप डिस्कशन और व्यावहारिक अभ्यास के संयोजन के माध्यम से दिया गया। इस शैक्षणिक कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को फेशियल फ्रैक्चर से जुडी कई अवधारणाओं को सुनने, चर्चा करने और लागू करने का मौका मिलेगा, तथा इसका उद्देश्य रोगी देखभाल और रोगविषयक परिणामों को बढ़ावा देना है |
उन्होंने बताया कि इसमें भारत सहित अन्य देशों से लगभग 100 से अधिक प्रतिभागी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे है जिनमें योग्य सर्जन जिन्हे लगभग 5 वर्षो का अनुभव है रेजिडेंट डॉक्टर्स एवं फैलोज शामिल है |इस शैक्षणिक कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के फेशियल फ्रै‌क्चर- जिनमें मैक्सिलोफेशियल इंजरी, मिडफेस ट्रॉमा, फेशिनज्यूरी और लेफ्टर्ट इंजरी शामिल हैं, जो आमतौर पर कार और मोटर साइकिल से हुई दुर्घटना, स्पोर्ट इंजरीज और हिंसा के कारण होते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सर्वेक्षण से पता चलता है कि सड़क हादसों में प्रति दिन 3000 से अधिक लोग मारे जाते हैं और कम से कम अन्य 30,000 घायल या अक्षम होते हैं। इनमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों में कई आघात होते हैं और उन्हें एनेस्थिसियोलॉजी, ओटोलरींगोलोजी, ट्रॉमा सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, नेत्र विज्ञान और ओरल और मैक्सिलोफैशियल सर्जरी के विभिन्न विषयों के बीच समन्वित प्रबंधन की आवश्यकता होती है।