बचने की कोशिश की उम्र भर,गुनाह होते गए, शिवाड़ का गोपालपुरा बांध जहाँ बही साहित्यिक बयार,, तलवार के उपन्यास *रिनाला खुर्द* की खूब हुई चर्चा,मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी व साहित्यकार फारूक आफरीदी ने ऐसी साहित्यिक यात्राओं को क्रांतिकारी कदम बताया

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– शिवाड़ के गोपालपुरा बाँध पर देश के नामचीन साहित्य सृजकों ने किया रचना पाठ

जयपुर, 26 अगस्त2019।(निक साहित्य) देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था कलमकार मंच की ओर से देशभर में चलने वाली ‘‘साहित्य यात्रा’’ के तहत प्रसिद्ध धार्मिक नगरी शिवाड़ के नजदीक स्थित गोपालपुरा बाँध की ऐतिहासिक छतरियों में आयोजित हुए ‘साहित्य कुंभ’ में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्यनारायण ने अपनी बहुचर्चित कविता ‘बचने की कोशिश की उम्रभर, गुनाह होते गए/ साठ के पार भी तुम्हारा नाम लेना, एक गुनाह ही तो है’ सुनाकर उपस्थित साहित्य प्रेमियों को साहित्य धारा से सराबोर कर दिया। वरिष्ठ कवि ऋतुराज ने देश की अर्थ व्यवस्था और कर्ज के बोझ का चित्रण अपनी कविता में बेहतरीन अंदाज में किया। जितेन्द्र भाटिया ने चीन की एक लघुकथा का पाठ किया तो वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार ईशमधु तलवार ने अपने उपन्यास ‘रिनाला खुर्द’ के अंश सुनाकर मौजूद श्रोताओं से दाद बटोरी।
आयोजन स्थल पर एक ओर जहाँ कलकल करता झरना बह रहा था तो दूसरी ओर बड़ी संख्या में मौजूद साहित्य सृजक अपनी नायाब रचनाओं से साहित्य धारा का प्रवाह पूर्ण वेग से कर रहे थे। लक्ष्मी शर्मा ने ‘एक नज़र मलाई मीठी, ये कुटिल कटाछ की दीठि/एक छुवन गिलहरी सी हो, एक पकड़ गुनगुना झरना’, नूतन गुप्ता ने ‘हर आँगन की एक, पहचान होती है कुछ अलगनियां/ उन पर सूखे जाने पहचाने कपड़े, दरवाज़े पर उतरीं कुछ चप्पल जूतों की जोडिय़ाँ’ और डॉ. बजरंग सोनी ने ‘टूटता नहीं तो नजीर बन जाता, मेरे गांव का गफूर आलमगीर बन जाता/सीलन की सोहबत में जंग लग गयी, लौहार मिलता तो शमशीर बन जाता’ सुनाकर आयोजन की सार्थकता को नये आयाम दिये।
इस अवसर पर फिल्म निर्देशक गजेन्द्र एस. श्रोत्रिय ने अपनी अपकमिंग फिल्म ‘कसाई’ को लेकर अनुभव साझा किये।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी फारूक आफरीदी ने अपने उद्बोधन में कलमकार मंच की ओर से साहित्य यात्रा के तहत देशभर में निरन्तर हो रहे आयोजनों पर खुशी जाहिर करते हुए इसे साहित्य के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताया। राजाराम भादू ने संस्था की ओर से वरिष्ठ साहित्यकारों की मौजूदगी में नये रचनाकारों को रचना पाठ का अवसर देने को एक बेहतरीन पहल बताते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन साहित्य को बचाये रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और साहित्य के उज्जवल भविष्य के लिये आश्वस्त भी करते हैं।
इससे पहले पूर्व राजमाता गायत्री देवी के एडीसी रहे ठाकुर श्याम सिंह के नेतृत्व में स्थानीय ग्रामवासियों ने ढोल और शहनाई की मधुर स्वरलहरियों के बीच सभी साहित्यकारों का माला पहनाकर स्वागत किया। कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने इस अवसर पर संस्था की ओर से ग्रामीणों और सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्था साहित्य को लेकर इसी तरह नित नये प्रयोग करती रहेगी।
‘‘साहित्य यात्रा’’ के दसवें पड़ाव में गोपालपुरा बाँध पर उमा, प्रेमचंद गांधी, डॉ. जी.सी. बागड़ी, एस. भाग्यम शर्मा, अवनींद्र मान, महेश कुमार, सुचिता, अनिता मिश्रा, ज्ञानवती सक्सेना, नीरा जैन, कैलाश भारद्वाज, राजेश कमाल, सीमा लोहिया, भारती राठौड़, सुन्दर बेवफा, कमलेश शर्मा, रीता सोलंकी, अनिता सिंह, सरिता अरोड़ा, कुसुम जैन, शशी हांडा, सुभाष सक्सैना आदि ने रचना पाठ किया। संचालन प्रज्ञा श्रीवास्तव ने किया।