क्यों सरकार की गरिमा को तार तार करने में लगे हैं,,
क्यों सरकार ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया,,,,
,,,,,,,कमीशन,कमीशन,और सिर्फ कमीशन,,,,
यह है हाल सरकारी ट्रॉमा अस्पताल का,,
जहां दावा किया जाता है, निशुल्क उपचार का,,
कैसे सुधरेगी छवि,सरकार की,क्यों अब तक किसी ने
आवाज़ नहीँ उठायी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जयपुर 28 अगस्त2019।(निक विशेष)कमिशन के इस गोरखधंधे की सड़ांध की बदबू का अहसास तब हुआ जब सन्नी आत्रेय चोटग्रस्त हो विस्वास के साथ निजी अस्पताल जाने के बजाय नामचीन ट्रॉमा अस्पताल में इलाज करवाने पहुंचा।
वहाँ सबकुछ ठीक होते हुए भी कुछ ठीक नहीं था,,,
जब वहाँ वार्ड में भर्ती 15 मरीजों व उनके परिजनों से इसके बारे में जाना तो सभी ने कहा कि हमें भी डॉक्टर्स ने नम्बर दिए हैं,वहीं से सामान खरीदा,, वहाँ दिए फोन पर बात करने से उस सर्जीकल सप्लायर का आदमी पहले, गेट के बाहर,किसी को ओटी के बाहर, किसी को कहीं और बुलाता है, फिर वो उन्हें अपनी दुकान में पैसे जमा करवाने ले जाता है,वहाँ भी सिर्फ पैसे की रसीद दी जाती है, इक्विपमेंट, सामान नहीँ, और कहा जाता हैकी समान आपके नाम से ओ टी(ऑपरेशन थिएटर) पहुंच जाएगा।
मतलबयहाँ भी दाल में काला, मतलब 4 प्लेट्स दी हैं या तीन रॉड्स, मरीज को कोई हक नहीं अपने दिए पैसे का सामान जानने की।
*अगर सरकार से रजिस्टर्ड यह 3 से 4 दुकानें हैं तो, डॉक्टर्स सीधा पता क्यों नहीं देते,मरीज के मोबाइल पर उन दुकानों में से एक का नम्बर देते हैं,
*अगर सरकारी ऑथोराइज्ड सर्जीकल सप्लायर है तो डॉक्टर्स प्रिस्क्रिप्शन पर खुले रूप में मोबाइल नम्बर व उन दुकानों का हवाला क्यों नहीं देते,,