ज़ेबा कुरैशी ने किया अपने स्कूल में टॉप, बधाइयों का लगा तांता

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पहले रिश्तेदार मारते थे ताना, अब ज़ेबा ने किया टॉप तो दी बधाई…

जयपुर 27 मई2019।(निक सामाजिक)खो नागोरियान के एक छोटे से स्कूल में पढ़ी, कोचिंग नहीं की, घर में भी कोई गाइड करने वाला नही था

कहते हैं सच्ची लगन और निष्ठा से किसी मुकाम को पाने की कोशिश की जाए तो एक दिन निश्चित ही सफलता मिलती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया खो नागोरियान की ज़ेबा कुरैशी पुत्री यामीन कुरैशी ने। अपने खो नागोरियान के ही एकता स्कूल में पढ़ी ज़ेबा क़ुरैशी ने 12वीं (कला संकाय) में 78 प्रतिशत अंक हासिल कर अपने स्कूल में तो टॉप किया ही है साथ मे अपने खानदान में वो पहली लड़की है जिसने 12वी कक्षा पास की है। पूरे खानदान वालों व रिश्तेदारों के विरोध के बावजूद यामीन क़ुरैशी ने अपनी बेटी को पढ़ाया। यहां तक कि उनकी बेटी को पढ़ाने के फैसले को लेकर उनके खानदान वाले उनसे नाराज़ भी हो गए, यहां तक कि घर आना जाना भी बंद कर दिया।

मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं ज़ेबा ने 10वीं में भी बहुत अच्छे अंक हासिल किए थे। उसने बताया कि जब मैं घर पर पढ़ाई करती थी तो पड़ोस के लोग व खानदान वाले कहते थे कि अरे लड़की है वैसे भी ससुराल जाकर तो रोटियाँ बनानी हैं ,क्या कर लोगी पढ़-लिखकर। ज़ेबा ने अपनी माँ फ़रज़ाना ओर पिता यामीन क़ुरैशी को अपना सब से बड़ा मोटीवेटर बताया। उसने बताया कि वे रोज़ 4 से 5 घंटे पढ़ाई करती थी। विपरित परिवेश और परिस्थितियों में भी लक्ष्य को निर्धारित कर ज़ेबा ने पढ़ाई की और अपना मुकाम हासिल किया।
बेहद सामान्य परिवार वाले पिता यामीन क़ुरैशी जो कि एक इलेक्ट्रॉनिक के सामान की दुकान चलाते हैं और मां फ़रज़ाना बानो अपनी बेटी के इस हुनर से खासे उत्साहित हैं। उन्होंने समाज के लोगों से आह्वान किया है कि बेटा-बेटी में अंतर न समझते हुए बेटियों को भी पढ़ाएं और शादी की जल्दबाजी न करे, उन्हें पढऩे-लिखने का मौका जरूर दें। बच्ची के उत्कृष्ट परिणाम से प्रभावित होकर उसके खानदान के लोगों ने भी इसके बाद अपने बच्चों ख़ासतौर पर बेटियों को पढ़ाने का निणर्य लिया है। समाज के बड़े बुजुर्गों ने बताया कि लड़कियां आगे जैसी भी पढ़ाई करना चाहेगी अब उसे पढ़ने से नही रोका जाएगा।

सुबह शाम घर का काम किया, फ्री टाइम में पढ़ाई..

ज़ेबा ने बातचीत में बताया कि घर के काम में काफी व्यस्तता रहती है, पिता दुकान पर चले जाते थे। मैं सुबह साढ़े चार बजे से उठकर पहले पढ़ाई करती थी फिर घर के काम में मां का हाथ बंटाती थी। इसके बाद स्कूल में पढ़ाई की, वहां से आकर भी पहले घर का काम और रात में आकर फिर पढ़ाई करती थी। हर परिस्थिति में पढ़ाई की जा सकती है बशर्ते लक्ष्य क्लीयर हो और मेहनत ईमानदारी से की गई हो।

जहां एक तरफ़ बच्चों को महंगे स्कूलों में पढ़ाने की जहां होड़ मची हुई है वहीं, ज़ेबा ने खो नागोरियान के ही सामान्य से स्कूल में अध्ययन कर यह बता दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। खास बात यह है कि और उर्दू में ही उसके 99 अंक आये हैं। स्कूल की पढ़ाई पर ही निर्भर ना रह कर, उसने अपने स्तर पर पढ़ाई की और किसी प्रकार की अतिरिक्त कोचिंग क्लास भी नहीं की। फ़िलहाल ज़ेबा का परिवार अपने खानदान की पहली 12वी पास का जशन मनाने में व्यस्त हैं।