आज की खूबसूरत शख्शियत हैं शिल्पी शाह,हृदय से बहुत कोमल ,बच्चों को प्यार करने वाली ,,वंचित और गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिले,उसके लिए सतत प्रयासरत है,,सपने और भी है, जानेगें ,next,,,

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सरकारी विद्यालय में शिक्षिका के रूप में बच्चों के भविष्य को संवारने का काम बखूबी से निभा रही हैं,,,,,,,,,,,,,,
सुर की सुरीली,नृत्य की शौकीन,खाना भी लाजवाब बनाती हैं,,आज की सुरीली,हंसमुख,मिलनसार शख्शियत,शिल्पी,,,

आउटिंग के साथ,शिल्पी अभी भी क्या सपने देखती है,अनुभवों को जानेंगे अगली सीरीज में,,,,,

बेटे रिदम के साथ,सुर से सुर मिलाते हुए

जयपुर 30 अप्रैल2019।(निक विशेष) शिल्पी शाह एक शिक्षिका हैं,एक बेहतर इंसान है,इसीलिए शायद वंचित और गरीब बच्चों को समय निकाल कर पेड़ के नीचे,टीन शेड के नीचे,शिक्षित करने का कार्य मात्र सिर्फ मानवता के नाते साथ ही शिक्षा के मौलिक अधिकार देश के हर नागरिक को मिले,इस सोच से बड़ी ही शिद्दत से कई वर्षों से अंजाम दे रही हैं।
शुरू शुरू में कठिनाइयों से जूझना पड़ा,पर अटल इरादों ने शिल्पी को अपने सामाजिक कर्तव्य पथ पर चलने से रोक ना सका।
आर्थिक मदद कहीं से भी उस समय नहीं थी,तब भी खासकर ऐसे बच्चों को अपने पास से,अपनी तनख्वाह के पैसों से खुशियां देने में कोई गुरेज नहीं किया।
इसी होंसले का परिणाम है,शिल्पी शाह की “शिल्प सृजन”संस्था,, पौधे के रूप में जिसका बीज कुछ वर्ष पूर्व बोया गया था,वो आज वट वृक्ष बनने को आतुर है।
शिल्पी के व्यक्तित्व में निखार उनके जीवन के खट्टे-मीठे व कटु अनुभवों का नतीजा है,,जिंदगी को बहुत करीब से देखा,जाना परखा है,शिल्पी ने ।
शिल्पी गाने एवं नृत्य की भी बहुत शौकीन है साथ ही अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी हुई हैं,अनेक सम्मानों से सम्मानित भी हो चुकी हैं,,
पँखो से नहीं हौंसलो से उड़ान होती है,इन पंक्तियों को चरितार्थ करती शिल्पी की जिंदगी में अब एक मकसद है,जिसके जरिये वो समाज सेवा के साथ विशेष तौर पर वंचित वर्ग को खुशियां प्रदान कर स्वयं को बहुत खुश पाती हैं,,,उन्हें सिर्फ शिक्षा ही नहीं देती साथ ही रोज़मर्रा की आवश्यकताओं को पूर्ण भी करती हैं,,और आज एक मिसाल के रूप में हम सबके सामने उपस्तिथि दर्ज करा रही हैं।