प्रोजेक्टर की ध्वनि,सलीम -अनारकली की मोहब्बत की दास्ताँ, एक पुराने अनुभव को नए कालखण्ड में महसूस किया

1255

जैम सिनेमा में हुआ ऐतिहासिक फिल्म मुगल – ए – आज़म का भव्य प्रदर्शन,अच्छी तादात में आये सिने प्रेमी

जयपुर 21 जनवरी2019।(NIK culture)आर्यन जिफ – २०१९ का तीसरा दिन बहुत ख़ास और ऐतिहासिक हिन्दी फिल्म मुग़ल – ए – आज़म के नाम रहा। सालों बाद जैम सिनेमा में फिल्म स्क्रीनिंग को देखने के लिए, शहर भर से आम और खास लोगों ने बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिया। फिल्म प्रेमियों के लिए यह बहुत खास मौक़ा था और हॉल में बैठे हर शख़्स के चेहरे पर अपार ख़ुशी थी। १३ वर्षों के बाद जैम सिनेमा में हुई यह स्क्रीनिंग बहुत ख़ास है, जिसका कारण है इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक। फिल्म का प्रदर्शन पुराने समय में उपयोग होने वाले आर्कलैम्प्स के प्रोजेक्टर्स के ज़रिए ही हुआ, जो जयपुर नगरी के फिल्म प्रेमियों के लिए ख़ासे उत्साह का विषय रहा। फिल्म प्रदर्शन के लिए लगभग ६०वर्ष पुरानी एनालॉग तकनीक का उपयोग हुआ, जबकि इन दिनों अधिकतर डिज़िटल तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता है।

इस अवसर पर बहुत ख़ुशी और गर्व महसूस करते हुए सुधीर कासलीवाल ने कहा कि यह राज्य भर के पुराने फिल्म प्रेमियों के लिए एक ख़ुशगवार दिन है। जैम सिनेमा में इतने वर्षों के बाद मुगलेआज़म के प्रदर्शन को लेकर वे अति उत्साहित महसूस कर रहे हैं। कासलीवाल ने कहा कि आज वे ६० के दशक की यादों में खोया हुआ महसूस कर रहे हैं, और लग रहा है जैसे वही पुराना दौर लौट आया हो। उनके साथ ही इस अवसर पर राजीव अरोड़ा, नन्दकिशोर झालानी भी उपस्थित रहे।

जैम सिनेमा की प्रोजेक्शन टीम के सदस्य ८२ वर्षीय भवानी सिंह [हैड ऑपरेटर], गजेन्द्र सिंह [ऑफ़िस हैड], भगवान सहाय [पिओन], शंकर सिंह और अशोक आहूजा [ऑपरेटर] का राजीव अरोड़ा, नन्दकिशोर झालानी, सुधीर कासलीवाल और जिफ संस्थापक हनु रोज ने स्वागत किया। ये ही वे कर्मठ लोग हैं, जो जैम सिनेमा में प्रोजेक्शन सम्भालते रहे हैं, और आज भी उन्हीं की बदौलत मुग़ल ए आज़म का यह भव्य प्रदर्शन मुमकिन हो सका है।

हुआ लाइफ़ एण्ड टाइम ऑफ़ शॉर्ट फिल्म्स – डायलॉग सैशन

लाइफ़ एण्ड टाइम ऑफ़ शॉर्ट फिल्म्स नामक डायलॉग सैशन हुआ, जिसमें किकि शक्ति, नेपाल से आए फिल्म निर्देशक बिकास, मार्टिन गोटफ्रिट और पेट्रिशिया गुब्रेन ने हिस्सा लिया। सैशन के दौरान फ़िल्मकारों का कहना था कि अब शॉर्ट फ़िल्मों के लिए बाज़ार बढ़ रहा है, और ऐसे यू – ट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर कोई भी अपनी शॉर्ट फिल्म अपलोड कर, लोगों तक भेज सकता है। वहीं, दूसरी ओर नेपाल के फिल्म निर्देशक बिकास का कहना था कि फिल्म बनाने से ज़्यादा मुश्किल हो जाता है, फिल्म के लिए बजट जुटाना, और फिल्म को जनता तक पहुँचाना। फिल्म मेकिंग से लेकर इसके डिस्ट्रीब्यूशन, और इसे आम जनता तक पहुँचाने को लेकर फ़िल्मकारों में काफ़ी रोचक चर्चा हुई। दर्शक दीर्घा से भी प्रश्न आते रहे, जिनका फ़िल्मकारों ने संतोषजनक जवाब दिया।

शाम को को – प्रोडक्शन मीट हुई, जो दुनिया भर से पहुँचे फ़िल्मकारों के लिए बहुत ही उपयोगी और महत्वपूर्ण रही। मीट के दौरान, इटली की फ़िल्मकार नोरा जेनेइके की फिल्म वेल्स और गजेन्द्र क्षोत्रिय की चर्चित रही फिल्म कसाई को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।

कनाडा की फ़िल्मकार पैट्रिशिया हैं, हिन्दी सिनेमा की दीवानी

कनाडा से आई फिल्म डायरेक्टर पेट्रिशिया ग्रुबेन का हिन्दी फ़िल्मों के प्रति दीवानापन और प्यार अनूठा ही है। जिफ – २०१९ में अपनी फिल्म फ्लोटिंग आइलैंड की स्क्रीनिंग के लिए जयपुर में आई पेट्रिशिया बताती हैं कि यह जिफ में आने का उनका पहला अनुभव है, जो बहुत ही आकर्षक रहा है। पेट्रिशिया बताती हैं कि जिफ में स्क्रीन हुई बहुचर्चित फिल्म कसाई भी उन्होने देखी, जो उन्हें बहुत पसंद आई। साथ ही वे मानती हैं कि बॉलीवुड फ़िल्में बहुत प्रभावी होती हैं। जानना रोचक है कि वे गुरूद्त्त की फिल्म प्यासा अब तक चार मर्तबा देख चुकी हैं। जहाँ तक भारतीय फ़िल्मकारों की बात है, पेट्रिशिया विशाल भारद्वाज, दिबाकर बैनर्जी, मणि रत्नम और शोनाली बोस को ख़ासा पसंद करती हैं।

शहर की कला है अनूठी
वेल्म फिल्म की निर्देशक नोरा जेनिके लम्बे समय से फिल्में बना रही हैं, और यह उनकी तीसरी फिल्म है। नोरा के लिए जिफ दुनिया भर से आए फ़िल्मकारों से संवाद का माध्यम तो है ही, साथ ही इस यात्रा के ज़रिए उन्हें गुलाबी नगरी की ख़ूबसूरती भी देखने को मिली है। नोरा मानती हैं कि भारत की कला, संस्कृति और लोग बहुत ही निराली है। वे भारत में दूसरी मर्तबा आई हैं, और जिस तरह यहाँ लोग गर्मजोशी से उनका स्वागत करते हैं, वह क़ाबिले तारीफ़ है।
अभिमन्यु कुकरेजा की फिल्म रॉक्यूमेंट्री – इवोल्यूशन ऑफ़ इंडियन रॉक बात करती है – इंडिया रॉक म्यूज़िक के इतिहास की, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। ९० मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म के ज़रिए अभिमन्यु यह कहना चाहते हैं कि – भारत के रॉक म्यूज़िक का इतिहास कितना प्राचीन और गौरवशाली है। ख़ास बात यह है कि इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में ऊषा उत्थुप ने संगीत दिया है, वहीं जाने – माने फिल्म निर्देशक इम्तियाज़ अली ने भी रॉक म्यूज़िक के बारे में अपने विचार रखे हैं। अभिमन्यू का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री को बनाना आसान नहीं रहा, और उन्हें इसके निर्माण में समूचे १० वर्ष लगे।

जिफ – २०१९ का तीसरा दिन बहुतेरी फिल्मों के रंग में रंगा रहा। देशी – विदेशी फिल्मों की लगातार स्क्रीनिंग होती रही।

स्विट्ज़रलैंड से आई रेडिकलाइजेशन ऑफ़ जैफ़ बोइड की स्क्रीनिंग हुई।

सात्विक मोहंती की फिल्म राँची डायरीज़ का प्रदर्शन हुआ। कॉमेडी के अंदाज में कही गई यह फिल्म एक छोटे शहर की कहानी है, जो गुड़िया के इर्द – गिर्द घूमती है।

क्षितिज कुमार पाण्डे की फिल्म ऑटम लीफ का प्रदर्शन हुआ। यह फिल्म एक सोश्यल – पॉलिटिकल ड्रामा है।

स्टेला पॉलिन की फिल्म डेट नाइट की स्क्रीनिंग हुई। रोमानिया से आई यह फिल्म १८ मिनट लम्बी है।

वहीं रजनीश बाबा मेहता की फिल्म पुण्यतिथि – डैथ एनिवर्सरी का प्रदर्शन हुआ। हिन्दी में बनी यह फिल्म ४५ मिनट की है।

नीलम आर. सिंह की तर्पण, सौरभ बाली की फिल्म पाँचाली ख़ास आकर्षण रहीं। हरियाणा आधारित यह फिल्म एक स्त्री के दुख की दास्तान बयां करती है।

वहीं, पाकिस्तान से आई फिल्म लोड वैडिंग का प्रदर्शन हुआ। ऊर्दू में बनी इस फिल्म के निर्देशक हैं नबील क़ुरैशी।