सिनेमा ओल्ड पोस्टर्स और फ़ोटो प्रदर्शनी से जिफ के दूसरे दिन का आग़ाज़ हुआ
उसी दौर की फिल्म उसी दौर का सिनेमा हॉल, वही पुरानी प्रोजेक्सन टीम के साथ मुगले आज़म का भव्य प्रदर्शन रविवार दुपहर 3:30 बजे से जैम सिनेमा पर
जयपुर 19 जनवरी 2019।(NIK culture)एक ओर फ़िल्मों का प्रदर्शन, वहीं सिनेमा की प्राचीन तस्वीरों की भव्य प्रदर्शनी। सिनेमा ओल्ड पोस्टर्स और फ़ोटो प्रदर्शनी से जिफ के दूसरे दिन का आग़ाज़ हुआ। मुख्य अतिथि आई.ए.एस. अधिकारी नीरज के. पवन के साथ ही अन्य अतिथियों – वरिष्ठ फ़ोटोग्राफ़र घनश्याम अग्रवाल, सुधीर कासलीवाल, प्रो. सुबर्तो मण्डल तथा जिफ संस्थापक हनु रोज ने फ़ीता काटकर स्वर्गीय ब्रज मोहन गुप्ता दवारा बनाए सिनेमा से जुड़े पुराने पोस्टरस, पेंटिंग्स और शो कार्ड्स एग्जीबिट किए जा रहे हैं जिनमें मुगले ए आज़म, मुकंदर का सिकंदर, मेरा गाँव मेरा देश जैसी फिल्मों के रियल पोस्टर्स और शौ कार्ड्स और अंदाज फिल्म की पेंटिंग देखने का आनंद विजिटर्स उठा रहे हैं।MO
यह जानना रोचक है कि महेश स्वामी की प्रदर्शनी में लगी तस्वीरें किसी पेंटिंग जैसी नज़र आती हैं, जो स्वयं में अद्भुत एवं नया प्रयोग है। सारी तस्वीरें स्वामी के घर में लगे पौधों की हैं, जिनकी देखभाल वे स्वयं करते हैं। प्रकृति के प्रति प्रेम उनकी प्रदर्शनी में स्पष्ट नज़र आया।
विमन इन सिनेमा एण्ड सिनेमा बाय विमन पर आधारित सत्र में फिल्म विशेषज्ञों ने चर्चा की। रोमानिया की फिल्म निर्देशक स्टेला पेलिन, मोरिसस से हरिकृष्णा अनेन्दन, कमलजीत यादव, कमोबोडिया से मनीष शर्मा ने और डॉ. प्रणु शुक्ला ने अपने विचार रखे, वहीं प्रबोध कुमार गोविल ने सत्र का संचालन किया। सत्र में कहा गया कि वर्तमान में हिन्दी फिल्मों में स्त्रियों से जुड़े विषयों को लेकर बहुत प्रयोग हो रहे हैं, और यह एक सकारात्मक क़दम है।
लो बजट वर्सेज हाई बजट फिल्मस
इसी कड़ी में सत्र चर्चा हुई, जिसका विषय रहा – लो बजट वर्सेज हाई बजट फिल्मस। सत्र में फिल्म निर्देशक गजेन्द्र क्षोत्रिय, राम कुमार सिंह, श्रीलंका की फ़िल्मकार शिवामोहन सुमन्ती और यमन से अमर गमाल ने हिस्सा लिया। सत्र के दौरान क्षोत्रिय ने कहा कि छोटी बजट की फ़िल्मों को दर्शकों तक पहुँचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। वहीं, राम कुमार सिंह ने कहा कि दुनिया भर के फिल्म निर्देशक इस समस्या से जूझते रहे हैं, और हमें तंत्र से लड़ना सीखना होगा। दूसरी ओर, दर्शकों को भी समझने की ज़रूरत है कि महज़ बड़े सितारों की फ़िल्मों को सराहने की बजाय लो – बजट फ़िल्मों को भी सराहें और सिनेमाहॉल में देखने जाएँ।
श्री देवी जिफ इंडियन पैनोरमा ऑडिटोरियम का उद्घाटन बहुचर्चित फिल्म कसाई के प्रदर्शन से हुआ।
जिफ – २०१९ के दूसरा दिन बहुतेरी फिल्मों के रंग में रंगा रहा। देशी – विदेशी फिल्मों की लगातार स्क्रीनिंग होती रही। बच्चों के लिए फ़िल्मों की स्क्रीनिंग रखी गई, जिसमें विविध स्कूल के बच्चों ने बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिया। इन फ़िल्मों का प्रदर्शन जैम सिनेमा और डॉल्फ़िन स्कूल में रखा गया।
सत्यजीत रे पर आधारित फिल्म अ रे ऑफ़ लाइट का प्रदर्शन हुआ। इस डॉक्यूमेंट्री फ़ीचर फिल्म का निर्देशन अनिर्बन मित्रा तथा तृथा दासगुप्ता ने किया है।
कम्बोडिया के मनीष शर्मा की फिल्म बोकचाम्बब का प्रदर्शन हुआ। १२२ मिनट लम्बी यह फ़ीचर फिल्म एक रैसलर की कहानी है, जो अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहता है, और इस ख़्वाब को पूरा करने में उसे ५० वर्ष लग जाते हैं।
मराठी फिल्म फर्जैंड का प्रदर्शन हुआ। यह १५५ मिनट लम्बी एक भारतीय फ़िक्शन फिल्म है, जिसे दिग्पाल लांजेकर ने निर्देशित किया है।
मलयालम फिल्म सुडानी फ़्रॉम नाइजीरिया का प्रदर्शन हुआ। ११७ मिनट लम्बी यह फिल्म फ़ुटबॉल खिलाड़ियों की कहानी के बारे में है।
ट्यूनीशिया से आई फिल्म मुस्तफ़ा ज़ी का प्रदर्शन हुआ, जो निधल चट्टा के निर्देशन में बनी है। यह एक अरबी फिल्म है, जिसकी अवधि ८५ मिनट है।
दोपहर के सत्रों में रॉक्यूमेंट्री – इवॉल्यूशन ऑफ़ इंडियन रॉक का प्रदर्शन हुआ। यू.के. से आई इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को अभिमन्यु कुकरेजा ने निर्देशित किया है।
वहीं, स्क्रीन – ४, राजस्थान एडल्ट एजुकेशन असोसिएशन, जयपुर में बैक टू बर्लिन का प्रदर्शन हुआ। यू.के. से आई यह डॉक्यूमेंट्री फ़ीचर फिल्म हिब्रू भाषा में बनी है। जर्मनी पर आधारित पर यह फिल्म मानव जीवन के मूलभूत प्रश्नों से जुड़ी है।
डॉक्यूमेंट्री फ़ीचर बंकर – द लास्ट ऑफ़ द वाराणसी वीवर्स का प्रदर्शन हुआ, जिसका निर्देशन सत्यप्रकाश उपाध्याय ने किया है।
वहीं राजस्थान से ये है इण्डिया, होप तथा सीप में मोती फ़िल्मों का प्रदर्शन हुआ।
व्हील चेयर पर हैं, फिर भी हुए जिफ में शरीक
हुसैन नूरी को जिफ समारोह में देखना हैरत में डाल देता है। दरअसल हुसैन फिल्म निर्देशक हैं, लेकिन व्हील – चेयर पर होने के बावजूद फ़िल्मों के प्रति प्रेम उन्हें जयपुर तक खींच लाया है। हुसैन ईरान से, अपनी फिल्म – माय आम्स फ्ल्यू के प्रदर्शन के लिए आर्यन जिफ २०१९ में आए हैं। इससे पहले जिफ 2010 इनके पुत्र मोहम्मद नुरी भाग ले चुके हैं।
फ्रांस के फ़िल्मकार हैं बॉलीवुड के फ़ैन
फ़्रांस से आए जीन बैप्टिस्टे और उनकी फिल्म पिस्ड ऑफ़ की कहानी बहुत रोचक है। दरअसल जीन बॉलीवुड फ़िल्मों को बहुत पसंद करते हैं, और इसी पर आधारित है उनकी फिल्म। जीन बताते हैं कि बॉलीवुड फ़िल्मों में उन्हें दिल से, कभी ख़ुशी कभी ग़म और देवदास ख़ासी पसंद है।
जिफ है दूसरे फिल्म समारोहों से अलग
कम्बोडिया से आए मनीष शर्मा कहते हैं कि जिफ अन्य फिल्म समारोहों से अलग है, चूँकि यहाँ फ़िल्में बड़ी स्क्रीन पर प्रदर्शित की जाती हैं, जबकि अधिकांश फिल्म समारोहों में यह छोटे प्रोजेक्टर्स पर ही दिखाई जाती हैं। अपनी फ़िल्मों को भव्य स्क्रीन पर देखना, फिल्म निर्देशकों के लिए बहुत ही सुन्दर अनुभव होता है।
क्या ख़ास होगा कल –
आर्यन जिफ – २०१९ के तीसरा दिन बहुत ख़ास होने जा रहा है, चूंकि इतने वर्षों के बाद जैम सिनेमा में ऐतिहासिक फिल्म मुगले आज़म का प्रदर्शन होगा। यह स्क्रीनिंग बहुत ख़ास है, जिसका कारण है इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक। आपको जानकर अचरज होगा कि फिल्म का प्रदर्शन पुराने समय में उपयोग होने वाले आर्कलैम्प्स के प्रोजेक्टर्स के ज़रिए ही होगा। फिल्म प्रदर्शन के लिए लगभग ६० वर्ष पुरानी एनालॉग तकनीक का उपयोग होगा, जबकि इन दिनों अधिकतर डिज़िटल तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता है।
इस अवसर पर बहुत ख़ुशी और गर्व महसूस करते हुए सुधीर कासलीवाल बताते हैं कि यह गुलाबी नगरी के पुराने फिल्म प्रेमियों के लिए एक ख़ुशगवार दिन है। वे जैम सिनेमा में इतने वर्षों के बाद मुगलेआज़म के प्रदर्शन को लेकर अति उत्साहित हैं। कासलीवाल बताते हैं कि वर्ष १९६४ में बने जैम सिनेमा का निर्माण आज भी देखने योग्य है, और इसे अब भी ज्यों का त्यों ही रखा गया है।
उसी दौर की फिल्म उसी दौर का सिनेमा हॉल, वही पुरानी प्रोजेक्सन टीम के साथ मुगले आज़म का भव्य प्रदर्शन रविवार दुपहर 3:30 बजे से जैम सिनेमा पर शुरू होगा। इस शो में एंट्री पहले आओ पहले पाओ और आमन्त्रीत मेहमानों के लिए रहेगा।